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सुंदर, सुखद रातों के लिए ऎसे सजाएं बेडरूम

Published: Mar 03, 2015 05:06:00 am

पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम सम्बंधों की मजबूती के लिए शयनकक्ष में दीवारों का रंग गुलाबी रखना चाहिए

शयनकक्ष (बेडरूम) घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। अगर इसे वास्तु के अनुरूप संवारा जाए तो स्थितियां अनुकूल रहती हैं।

भवन की दक्षिण-पश्चिम दिशा को शयनकक्ष के लिए उपयुक्त स्थान माना गया है। लेकिन स्थानाभाव होने पर पश्चिम, उत्तर-पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में भी शयनकक्ष बनाया जा सकता है। बच्चों के लिए शयन कक्ष पश्चिम दिशा में ही बनाना शुभ रहता है।

शयनकक्ष की छत का समतल होना आवश्यक है। यदि शयनकक्ष की छत ढालू है तो बेड छत की उस दिशा की ओर रखना चाहिए जहां छत की ऊंचाई कम हो। पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम सम्बंधों की मजबूती के लिए शयनकक्ष में दीवारों का रंग गुलाबी अथवा हल्का पीला रखा जाए तो अच्छा रहता है। नीला, लाल, काला या बैंगनी रंग अनावश्यक टकराव और मानसिक तनाव देता है। इसलिए शयनकक्ष में इन रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस कक्ष में लेंटर की बीम या लोहे की गाटर हो तो बेड को भूलकर भी इनके नीचे नहीं लगाना चाहिए बल्कि अलग हटकर ही सोने का स्थान बनाना चाहिए।

इस कमरे में सोते समय किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा में पैर नहीं होने चाहिए। इसी प्रकार शयनकक्ष के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर सिर या पैर करके शयन करना भी दोषपूर्ण माना गया है। पूर्व दिशा में पैर करके शयन करने से सुख समृद्धि तथा पश्चिम दिशा में पैर करके शयन करने से धार्मिक व आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है।

इस कक्ष में दर्पण लगी ड्रेसिंग टेबल सिर के सामने नहीं होनी चाहिए। अगर जगह की कमी हो तो सोने से पूर्व दर्पण को किसी वस्त्र या चादर से ढक देना चाहिए।

शयनकक्ष में कभी भी झाडू, अंगीठी, तेल का भरा हुआ टिन, कढाही, चिमटा, जल से भरा बड़ा बर्तन, मछली घर, सामान रखने का टोकरा, नशीले पदार्थ, सफेद या पीले रंग के संगमरमर से बनी कोई मूर्ति या वस्तु, पीपल, नीम या गूलर, गूलर के पत्ते या टहनी आदि अन्य अनुपयोगी सामान नहीं रखना चाहिए।

यहां दीवार पर स्वस्थ, सुंदर और हंसते हुए बच्चे का चित्र, राधा-कृष्ण का संयुक्त चित्र, खिले हुए गुलाब के जोड़े का चित्र लगाया जाना शुभ होता है। लेकिन सांप, गिद्ध, उल्लू, बाज, कबूतर, कौआ, चीता और युद्ध व राक्षसों के चित्र-मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।

शयनकक्ष में रात्रि के समय जलाने के लिए लगाया जाने वाला बल्व उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण में ही लगाना चाहिए। सोते समय शयनकक्ष में अंधेरा रखना दोषपूर्ण होता है।
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