रविवार: ये रहेगा रोजा इफ्तार व सहरी का वक्त
Published: Jul 05, 2015 11:27:00 am
रोजा भी हमारे जिस्म की सर्विसिंग करता है, रोजे से मोटापा कम होता है, जो एक
खतरनाक बीमारी है
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रोजा इफ्तार व सहरी का वक्त
मुफ्ती अहमद हसन साहब: इफ्तार – रविवार: 7.24, सहरी – सोमवार: 4.06
दारूल-उल रजविया: इफ्तार – रविवार: 7.29, सहरी – सोमवार: 4.00
शिया इस्ना अशरी मस्लक: इफ्तार – रविवार: 7.37, सहरी – सोमवार: 3.47
मुफ्ती-ए-शहर
हमारा शरीर एक मशीन जैसा है। मशीन के सारे पुर्जे अच्छी हालत में रहें और मशीन ठीक प्रकार से काम करे, इसके लिए समय-समय पर मशीन की सर्विसिंग और ऑवरहॉलिंग की आवश्यकता पड़ती है। अन्यथा मशीन खराब हो जाएगी। रोजा भी हमारे जिस्म की सर्विसिंग करता है। रोजे से मोटापा कम होता है, जो एक खतरनाक बीमारी है। रोजा आमाशय को आराम पहुंचाता है, अन्यथा लगातार खाते रहने से इसे विश्राम नहीं मिल पाता और आमाशय में जख्म (अल्सर) का खतरा पैदा हो जाता है। रोजे से इंसान के दिमाग को सुकून मिलता है और वैचारिक शक्ति बढ़ती है। रोजा रखकर इंसान स्वयं पर काबू पाता है, विशेषत: बीड़ी, सिगरेट, पान, तंबाकू, गुटका की आदतें छुड़ाने में मदद मिलती है।
– मुफ्ती हकीम अहमद हसन