नई दिल्ली। उद्योग संगठन एसोचैम ने नोटबंदी की वजह से खेती, मुर्गी पालन तथा बागवानी से जुड़े लोगों को नकदी की किल्लत से हो रही समस्या के निदान के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) नैफेड तथा अन्य केंद्रीय एवं राज्य प्रतिष्ठानों को फसल के बदले हस्तांतरणीय रसीद (टीआर) जारी करने की सलाह दी है।
सरकार को निर्देश देने की सलाह
एसोचैम ने आज जारी वक्तव्य में कहा कि सरकार को एफसीआई तथा नैफेड जैसे अन्य केंद्रीय एजेंसियों को निर्देश देना चाहिये कि वे फसल खरीदकर किसानों को टीआर जारी करें और यह टीआर कृषि उत्पाद संबंधी सभी स्टोरों पर मान्य होने चाहिये। उसका कहना है कि ये टीआरए पेटीएम की तरह भुगतान का एक जरिया बन सकते हैं जिन्हें बाद में किसी एक नोडल एजेंसी द्वारा संकलित किया जाना चाहिये।
टीआर माध्यम से बिजनेस करने की अनुमति
एसोचैम ने इस नोडल एजेंसी के रूप में एफसीआई को प्राथमिकता देने की भी वकालत की है। उद्योग संगठन ने कहा है कि राज्य सरकारों की मदद से इन टीआर के माध्यम से बिना किसी परेशानी के व्यापार की अनुमति दी जानी चाहिये। इसकी सीमा 50,000 रुपये तक रखी जा सकती है। यदि टीआर एफसीआई के स्तर से जारी होंगे तो केंद्र सरकार के लिए पुराने नोटों को बदलने में इनके दुरुपयोग को रोकना भी आसान होगा। वैसे भी, अब 500 और एक हजार रुपये के अधिकतर नोट बैंङ्क्षकग तंत्र में वापस आ गये हैं और मुख्य परेशानी नये नोटों की कमी की है।
संगठन के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, इसी तरह टी बोर्ड, मत्स्य पालन बोर्ड, जूट बोर्ड तथा रबर बोर्ड जैसी एजेंसियाँ भी टीआर जारी कर सकती हैं और कुछ रिटेल चेन स्टोर से इन टीआर को मान्यता देने के लिए समझौता किया जा सकता है। यह सोडेक्सो लंच कूपन के मॉडल पर काम कर सकता है।
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