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आईटीआर फाइल में अक्सर होती हैं ये गलतियां, आप ऐसे बचें

Published: Jul 24, 2017 04:10:00 pm

अक्सर देखा गया है कि आयकरदाता कुछ जगहों पर रिटर्न फाइल के दौरान गलतियां कर देते हैं। आप ये गलतियां न करें इसके लिए किन बातों की सावधानी बरतनी चाहिए हम बता रहे हैं।

Income tax Return

Income tax Return


नई दिल्‍ली. वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आयकर रिटर्न भरने की शुरुआत हो चुकी है। आप भी अपना रिटर्न फाइल करने की तैयारी कर रहे होंगे। क्या अपने रिटर्न फाइल करने से पहले सभी जरूरी कागजातों को इकट्ठा कर लिया है। अक्सर देखा गया है कि आयकरदाता कुछ जगहों पर रिटर्न फाइल के दौरान गलतियां कर देते हैं। आप ये गलतियां न करें इसके लिए किन बातों की सावधानी बरतनी चाहिए हम बता रहे हैं। ये जानकारी न सिर्फ आपको गलतियां करने से बचाएगी बल्कि आसानी से आईटीआर फाइल करने में भी मदद करेगी। 

गलत फॉर्म का चयन

आयकर दाताओं के बीच सबसे आम समस्याओं में एक गलत फॉर्म में आईटीआर भरना है। यदि आपकी आमदनी केवल वेतन है तो आईटीआर 1 (सहज) फर्म के जरिए ही रिटर्न भरें। यदि आपका किसी प्रोपराइटरी बिजनेस में डिपार्टमेंट स्टोर चलाते हैं तो रिटर्न भरने के लिए आईटीआर 3 या आईटीआर 4 भरें। । ध्यान रखें कि आयकर विभाग ने वर्र्ष 2016-17 के आईटीआर फाइल करने के फॉर्म नंबर बदल दिए हैं। इनकी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। मेेरी सलाह है कि रिटर्न भरने से पहले निर्देशों को पूरा पढ़ें। इसके बाद ही आयकर रिटर्न फाइल करने की शुरुआत करें। 

नाम-पता का विवरण गलत

आयकर रिटर्न फाइल करते हुए नाम, पता और आधार कार्ड नंबर जैसे विवरणों का सटीक होना अनिवार्य है। इनमें अक्सर मामूली भूल हो जाती है और लोग गलत विवरण दर्ज कर देते हैं। इसलिए नाम, पता, कर की राशि, बैंक खाता संख्या और अन्य अनिवार्य विवरण सावधानी से दें और दुबारा जांच लें। एक मामूली गलती से आप आयकर रिफंड लेने से चूक जाएंगे। यदि रिटर्न फाइल करने के बाद इसमें त्रुटि रह जाती है तो आयकर विभाग संशोधन करने का अवसर देता है।

फॉर्म 26 एएस का सत्यापन नहीं

अपने नियोक्ता या जो भी आमदनी के स्रोत से कर काटता है उसे हमेशा अपना सही पैन दें। यदि आपके नियोक्ता वाले (फॉर्म 16 ए) का टैन या पैन के विवरण गलत हैं तो आपको टीडीएस जमा होने का लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए फॉर्म 26 एएस की जांच करें। इससे पता चलेगा कि टैक्स सरकार के खाते में जमा है। 

डिडक्शन के दावे करने से चूकना

आयकर सेक्शन 80सी के तहत कई निवेश पर टैक्स छूट के प्रावधान किए हैं। आप पीपीएफ, इंश्योरेंस, ईएलएसएस में किए हुए राशि पर 1.5 लाख रुपए तक का टैक्स छूट ले सकते हैं। इसलिए जो भी डिडक्शंस मान्य हों उन्हें आपके आईटीआर में दर्ज करें। यदि रिटर्न फाइल करते हुए इनके दावे नहीं करते हैं तो विभाग बाद में इन्हें नहीं स्वीकार करेगा।

सभी आयों की घोषणा करें

सभी स्रोतों से प्राप्त आयों की घोषणा करें चाहे इनमें कोई आयकर मुक्त हो। लॉट्री या मकान बेचने से प्राप्त आय की भी घोषणा करें। लोग अक्सर दुविधा में फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट को आयकर से मुक्त मान लेते हैं। 

सिर्फ कर योग्य आय नहीं बताएं 

आयकर रिटर्न भरते समय टैक्सेबल इनकम की जगह ग्रॉस इनकम भरने की गलतियां अकसर करदाता कर देते हैं। ऐसा फॉर्म 16ए में टैक्सेबल इनकम और ग्रॉस इनकम में कनफ्यूजन होने से होता है। इससे बचने के लिए फॉर्म 16ए के कॉलम 6 में दिया हुआ इनकम ही भरें। अगर आप सैलरीड है और इसके साथ आपको रेंट, कमीशन, डोनेशन आदि से एक्स्ट्रा इनकम हो रहा है। रिटर्न भरते वक्त आप सिर्फ अपनी सैलरी से होने वाली आय का ब्योरा रिटर्न फाइल में नहीं भरें। अगर, आप ऐसा करते हैं तो यह गलत फाइलिंग है। रिटर्न में सैलरी के अलावा छोटी-छोटी आय का भी खुलासा रिटर्न फाइल में करना चाहिए।

समय से फॉर्म को सत्यापित कर नहीं भेजना

आयकर रिटर्न ई-फाइल करते हुए आप से रिटर्न पर डिजिटल हस्ताक्षर करने को कहा जाता है। यदि आपका डिजिटल सिग्नेचर नहीं है तो भारत सरकार ने आपको यह विकल्प दिया है कि आप आईटीआर 5 विधिवत् हस्ताक्षर कर के सेंट्रलाइज़्ड प्रॉसेसिंग सेंटर (सीपीसी), बेंगलूरु भेज दें। आईटीआर 5 रिटर्न फाइल करने के 120 दिनों के अंदर केवल साधारण डाक या स्पीड पोस्ट से भेजें। इसका विकल्प यह भी है कि उपरोक्त समय सीमा के अंदर आपके रिटर्न का ऑनलाइन ई-सत्यापन कर दें। ऐसा नहीं करने पर यह माना जाएगा कि आपने रिटर्न फाइल किया ही नहीं। इसलिए आईटीआर 5 सत्यापित नहीं करने की भूल नहीं करें।

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