नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने की कवायद जोड़ों पर है। हालांकि इसे रोकने के लिए सरकार भी सभी तरह के उपाय कर रही है।
नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने की कवायद जोड़ों पर है। हालांकि इसे रोकने के लिए सरकार भी सभी तरह के उपाय कर रही है। इस कड़ी में केंदीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बुधवार को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर कोई टैक्सपेयर अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए संशोधित रिटर्न भरता है और पहले फाइल किए हुए रिटर्न सेे संशोधित रिटर्न में बड़ा हेर-फेर पाया जाता है तो उसे पेनल्टी के साथ ही जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।
सभी बदलावों पर सीबीडीटी की नजर
सीबीडीटी ने कहा है कि संशोधित रिटर्न भरने का प्रावधान इसलिए बनाया गया है कि अगर किसी को रिटर्न फार्म भरने के दौरान कोई गलती हो जाती है तो वह उसे सुधार कर सकता है। लेकिन नोटबंदी के बाद अगर किसी टैक्सपेयर की आय नोटबंदी से पहले कम थी, लेकिन नोटबंदी के बाद तेजी से बढ़ी है और वह इसे छुपाने केे लिए संशोधित रिटर्न फार्म का रास्ता अख्तियार करता है तो वह जांच के दायरे में आएगा। संशोधित रिटर्न में अगर टैक्सपेयर की आय, कैश इन-हैंड या मुनाफा में अगर बड़ा बदलाव दिखता है तो उसकी जांच की जाएगी और गड़बड़ी होने पर जुर्माना लग सकता है। इसी तरह, बड़ी गड़बड़ी मिलने पर टैक्सपेयर्स को जेल भी जाना पड़ सकता है। रिटर्न के अलावा अगर बही-खातों में कोई फेरबदल किया जाता है तो वह भी जांच के दायरे में आएगा।
क्यों जारी की गई चेतावनी?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को अंदेशा है कि नोटबंदी के बाद से लोग कालेधन को सफेद करने के लिए तरह-तरह के जुगत लगा रहे हैं। इसी के तहत इस बार लोग आईटीआर में संशोधन के छूट का गलत इस्तेमाल कर अपने कालेधन को सफेद कर सकते हैं। टैक्सपेयर्स पिछले असेसमेंट ईयर के रिटर्न में बदलाव, इनकम, कैश और अन्य प्रॉफिट के आंकड़ों में फेरबदल कर कालेधन को सफेद कर सकते हैं। इसलिए डिपार्टमेंट ने यह चेतावनी जारी की है।
इसका व्यापक असर होगा: गुप्ता
सीए और टैक्स एक्सपर्ट संगीत गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि सीबीडीटी के इस कदम का व्यापक असर आने वाले दिनों में दिखाई देगा। जो लोग अपनी आय से अधिक इनकम को बैंक में जमा करा कर यह सोच रहे थे कि वेे संशोधित आईटीआर रिटर्न दायर कर और कुछ टैक्स चुकाकर उसे सफेद कर लेंगे, उनके लिए दरवाजे बंद हो गए हैं। इससे यह भी साफ हो गया है कि सरकार की नजर उन सभी टूल्स पर है जिनके जरिए लोग अपनेे कालेधन को सफेद करने का प्रयास कर रहे हैं।
समयसीमा के बाद नहीं मिलेगी छूट: जैन
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि आयकर एक्ट 1961 के सेक्शन 139(5) के तहत कोई भी व्यक्ति अपने रिटर्न में बदलाव कर संशोधित रिटर्न फाइल कर सकता है। हालांकि, इसका लाभ वही टैक्सपेयर ले सकता है, जिसने अपना रिटर्न आयकर विभाग की ओर तय की गई तारीख के अंदर फाइल किया हो। अगर किसी ने अपना रिटर्न तय समय-सीमा के बाद फाइल किया है तो उसे यह छूट नहीं मिलेगी। आयकर एक्ट के इस सेक्शन के तहत टैक्सपेयर्स रिटर्न फाइल करने के दौरान होने वाली मामूली गलतियों को सुधार सकता है और फिर से रिटर्न फाइल कर सकता है। लेकिन, अगर कोई इसका इस्तेमाल अपनी इनकम छुपाने के लिए और टैक्स देनदारी कम करने के लिए करता हैै तो वह जांच के दायरे में आएगा और उस पर सीबीडीटी कार्रवाई कर सकता है।