नोटबंदी के बाद सोना रखने की सीमा तय होने और यूएस फेड रेट में बढ़ोतरी जैसे तमाम स्थानीय और वैश्विक कारणों के चलते सोना अच्छे उछाल के बाद फिर से गिरावट के दौर में है…
पारंपरिक रूप से निवेश का सबसे बड़ा माध्यम रहा सोना इन दिनों अपनी चमक खोता नजर आ रहा है। नोटबंदी के बाद सोना रखने की सीमा तय होने और यूएस फेड रेट में बढ़ोतरी जैसे तमाम स्थानीय और वैश्विक कारणों के चलते सोना अच्छे उछाल के बाद फिर से गिरावट के दौर में है। बड़े निवेशकों के कदम पीछे खींचने से लिवाली कमजोर हुई है, जिसका सीधा असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों में सोने के भाव घटते हुए 10 महीनों के निचले स्तर पर चले गए हैं। रियल एस्टेट और शेयर मार्केट की हालत पहले ही अच्छी नहीं है। इसके बाद अब हालात देखते हुए सोने का भविष्य भी सुनहरा नहीं लग रहा।
उल्टे पड़े पुराने दांव
नोटबंदी के बाद सोना कालेधन को सफेद करने का सबसे बड़ा जरिया बन गया था। ऐसे में पुराने नोटों में सोने की कीमतें 31 हजार रु/10 ग्राम से बढ़कर 50 हजार रु/10 ग्राम तक पहुंच गई थी। नवंबर में नोटबंदी की घोषणा के बाद सोने का आयात करीब 100 टन तक पहुंच गया, जो पिछले पूरे साल में हुए आयात का करीब 20 फीसदी है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भी लोग सोने में तेजी का अनुमान लगा रहे थे, लेकिन अब बदलते परिदृश्य में निवेशक हाथ पीछे खींचते नजर आ रहे हैं, ऐसे में उछाल के बजाय गिरावट आने लगी है। वैश्विक डिमांड में भी कमी देखने को मिल रही है।
सख्ती से भी घटेगी चमक
सोने की खरीद-बिक्री में पैन की अनिवार्यता और इनकम टैक्स रिटर्न में भी सोने की जानकारी देना आदि जैसे और भी कई कदम उठाए जाने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो दाम और गिरेंगे, ऐसे में फिलहाल सोने से दूर रहना ही अपनी वेल्थ को चमकदार बनाने का अच्छा तरीका माना जा रहा है।
आने वाले दिनों में सोने की खरीद में रुचि
हां 34.90 फीसदी
संभावना है 30.30 फीसदी
नहीं 34.80 फीसदी
…इसलिए खरीदना चाहते हैं
निजी उपयोग 55.10 फीसदी
अस्थिरता से बचाव 37.40 फीसदी
पोर्टफोलियो में विविधता 31.80 फीसदी
कैश का उपयोग करने के लिए 31.80 फीसदी
…इसलिए नहीं खरीदना चाहते हैं
पहले से बहुत रखा है 25.80 फीसदी
दूसरे एसेट क्लास पर अच्छा रिटर्न 55.10 फीसदी
लंबे समय तक सुरक्षित निवेश नहीं 20.50 फीसदी
नए नियमों से बढ़ी सख्ती 23.70 फीसदी
डिमांड में बड़ी गिरावट
चीन और भारत सोने की सबसे ज्यादा खपत करने वाले देश हैं। लेकिन अब दोनों में मांग में कमी देखने को मिली है। घरेलू मांग 2010 में 1002 टन थी, जो घटकर 2015 में 858 टन रह गई। वहीं इस साल के पहले नौ महीनों में डिमांड और घटकर महज 441 टन रह गई है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 29 फीसदी कम है।
निवेशकों को सलाह
एक्सपर्ट्स मार्च 2017 तक सोने की कीमतों में और गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं। ऐसे में निवेशकों को बहुत ज्यादा निवेश नहीं करना चाहिए। ज्वैलरी खरीदने के लिए जरूर यह अच्छा समय है। हालांकि विविधता के लिहाज से निवेशकों को पोर्टफोलियो में 5 से 10 फीसदी जगह सोने को देनी चाहिए।