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एसडब्ल्यूपी से हाउसवाइफ को भी मिल सकती है मंथली तय सैलरी!

Published: Dec 24, 2016 11:15:00 pm

Submitted by:

umanath singh

हाउसवाइफ को अक्सर शिकायत रहती है कि उनकी कोई तय इनकम नहीं होती। कभी-कभी यह उनके लिए एक हीनताजन्य ग्रंथि भी बन जाती है। अलबत्ता, पति भी ताने मारने का कोई मौका शायद ही गंवाते हैं। ऐसे में हाउसवाइफ के बैंक अकाउंट में महीने की एक तय तारीख को अगर एक तय रकम आ जाए, तो इससे न सिर्फ उनके व्यक्तित्व में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे, बल्कि पतियों के लिए भी यह किसी सपने के सच होने जैसा ही होगा। 

monthly salary

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आंजनेया गौतम- नेशनल हेड – म्युचुअल फंड्स, बजाज कैपिटल

हाउसवाइफ को अक्सर शिकायत रहती है कि उनकी कोई तय इनकम नहीं होती। कभी-कभी यह उनके लिए एक हीनताजन्य ग्रंथि भी बन जाती है। अलबत्ता, पति भी ताने मारने का कोई मौका शायद ही गंवाते हैं। ऐसे में हाउसवाइफ के बैंक अकाउंट में महीने की एक तय तारीख को अगर एक तय रकम आ जाए, तो इससे न सिर्फ उनके व्यक्तित्व में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे, बल्कि पतियों के लिए भी यह किसी सपने के सच होने जैसा ही होगा। इससे हर माह घर का बजट बनाते वक्त पत्नी का सामना करने में परेशानी महसूस करने वाले पतियों को खासा राहत मिलेगी। इस सपने को धरती पर उतारने के लिए आज हम एक निवेश रणनीति बताने जा रहे हैं। यह फाइनेंशियल प्रोडक्ट उन हजारों परिवारों के लिए उम्दा सॉल्यूशन का काम करेगा, जिनके लिए बढ़ते खर्च और महंगाई के बीच मासिक घरेलू बजट पर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है।

कोई शक नहीं कि महिलाएं उम्दा मनी मैनेजर होती हैं। घरेलू खर्च की नब्ज को वे तुरंत पकड़ लेती हैं। उनकी इसी समझ से जन्म लेती है उनकी अपनी सेविंग स्कीम। उनके पास अक्सर एक कंटिंजेंसी रिजर्व फंड होता है, जिसे वे आकस्मिक जरूरत पडऩे पर ही निकालती हैं। हालांकि घर में रखी उनकी यह सेविंग जस की तस रखी रहती है और इन्फ्लेशन बढऩे से उसकी वैल्यू भी कम हो जाती है। ऐसे में सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान (एसडब्ल्यूपी) के साथ इस रकम का म्युचुअल फंड में निवेश करके वे सैलरी की तरह हर माह एक तय रकम पा सकती हैं।

क्या होता है एसडब्ल्यूपी

जिस तरह हर महीने एक तय तारीख को आपके बैंक अकाउंट में सैलरी आती है, उसी प्रकार एसडब्ल्यूपी भी यह सुनिश्चित करता है कि आपके बैंक खाते में तय समय पर फिक्स्ड रकम आए। हालांकि इसके लिए आरंभ में आपको एक खास स्कीम में एक मुश्त कुछ पैसे डालने होते हैं। इसके लिए म्युचुअल फंड स्कीम को एक बार निर्देश देना होता है। उदाहरण के लिए, एक बार १५ लाख रुपए का निवेश करने पर उस निवेशक को म्युचुअल फंड को बताना पड़ता है कि अमुक साल तक उसे अपने बैंक खाते में महीने की एक तय तारीख को अमुक रकम (मान लीजिए ६५०० रुपए) चाहिए। म्युचुअल फंड उस तारीख को आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करता रहेगा। यह एसडब्ल्यूपी का महज एक उदाहरण है।

तय रकम से अधिक भी ले सकते

एसडब्ल्यूपी की प्रक्रिया बेहद लचीली है। सबको पता है कि किसी भी वक्त अधिक रकम की जरूरत पड़ सकती है। इसीलिए एसडब्ल्यूपी को म्युचुअल फंड्स का एक ऑपन-एंडेड स्कीम बनाया गया है। यानी आप जरूरत के मुताबिक विदड्रॉल लिमिट को बढ़ा सकते हैं। एक साधारण रीडेंम्पशन इंस्ट्रक्शन जमा करके निवेशक अपना बाकी निवेश भी निकाल सकते हैं। इतना ही नहीं, म्युचुअल फंड को दिए गए इंस्ट्रक्शन यानी निर्देश को किसी भी समय रोका या बदला भी जा सकता है। अगर आपको लगता है कि अब आपका खर्च बढ़ गया है तो आप अपनी स्कीम में अतिरिक्त निवेश करके एसडब्ल्यूपी की रकम को बढ़ा भी सकते हैं।

टैक्स संबंधी फायदा भी

टैक्स मामलों में भी निवेशकों को एसडब्ल्यूपी का फायदा मिलता है। कल्पना कीजिए कि ए नामक व्यक्ति एसडब्ल्यूपी के साथ म्युचुअल फंड्स के मंथली इनकम प्लान (एमआईपी) में १५ लाख रुपए निवेश करता है और बी नामक व्यक्ति ८ फीसदी ब्याज दर वाली बांड/डिपोजिट स्कीम में इतनी ही रकम निवेश करता है। अगर हम मान लें कि एसडब्ल्यूपी रकम मासिक १० हजार प्रति महीने या सालाना एक लाख २० हजार रुपए या फिर निवेश की गई रकम का ८ फीसदी तय की गई है। यहां हम यह भी मान लेते हैं कि एमआईपी पर ८ फीसदी रिटर्न मिलता है और ए व बी दोनों ३० फीसदी टैक्स स्लैब में हैं और वे १० वर्षों के लिए क्रमश: एसडब्ल्यूपी और ब्याज इनकम लेते हैं।

इस तरह होगा ए और बी को फायदा

पहले उदाहरण में ए को कैपिटल गेंस टैक्स के रूप में ३७,५३७ रुपए अदा करना पड़ेगा। इसी तरह बी को इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स के रूप में ३,६०,००० रुपए देने की जरूरत होगी। १० वर्षों में एसडब्ल्यूपी अमाउंट के रूप में उन्हें क्रमश: १२ लाख रुपए या इंटरेस्ट इनकम मिलेगी। अगर इस फंड को १० साल बाद भी नहीं निकाला जाता है तो ए को सिर्फ ३.१२ फीसदी टैक्स और बी को १२ लाख रुपए पर ३० फीसदी टैक्स अदा करना होगा। इस प्रक्रिया में मान लेते हैं कि महंगाई दर प्रति वर्ष ६ फीसदी है। ये कैलकुलेशंस किसी सरचार्ज या इनकम टैक्स छूट को ध्यान में रखकर निकाले गए हैं। इस क्रम में यह भी माना गया है कि १० साल बाद भी फंड्स नहीं निकाले जाएंगे।

एसडब्ल्यूपी सभी म्युचुअल फंड स्कीम में उपलब्ध

म्युचुअल फंड स्कीम की सभी श्रेणियों में एसडब्ल्यूपी उपलब्ध है। हालांकि निवेशकों को जोखिम लेने की अपनी क्षमता को ध्यान में रखकर ही किसी म्युचुअल फंड का चयन करना चाहिए। यह उदाहरण एमआईपी समेत खासकर डेट वाले फंड्स के मामले में सच है। जबकि इक्विटी आधारित फंड्स के और भी टैक्स संबंधी फायदे हैं, लेकिन निवेश की मार्केट वैल्यू में काफी उतार-चढ़ाव होते रहते हैं।

रिटायर होने वालों के लिए भी अच्छा

यह स्कीम उन लोगों के लिए भी अच्छा है, जो रिटायर हो रहे हैं और जिन्हें आने वाले महीनों में कोई नियमित सैलरी नहीं आने जा रही है। ऐसे में रिटायरमेंट से आने वाले पैसे का उपयोग नियमित मासिक इनकम की यह व्यवस्था करने के लिए किया जा सकता है। इस तरह रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें एक तय नियमित मासिक रकम मिलती रहेगी। निवेशक अपनी जरूरतों के अनुसार एसडब्ल्यूपी का इस्तेमाल बॉर्डिंग स्कूल में पढऩे वाले अपने बच्चों की मासिक फीस और पॉकेट मनी के लिए भी कर सकते हैं।

साफ तौर पर यह एसडब्ल्यूपी रकम के साथ आपके लिए फ्रेश इन्वेस्टमेंट का समय है, जिससे आपके घरेलू खर्च कवर हो जाएं। हां, आप अपनी पत्नी को उनके बैंक खाते वाले डेबिट कार्ड देना नहीं भूलें, ताकि वह आपके एक्सपेंस पोर्टफोलियो का कुशलतापूर्वक प्रबंधन कर सकें। आप इस मामले में लैडी लक पर यकीन कर सकते हैं।

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