काला धन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने शुक्रवार को कहा कि शेयरों की कीमत में असामान्य वृद्धि पर नजर रखने के लिए निश्चित रूप से सेबी की अपनी एक प्रणाली होनी चाहिए और धन की हेराफेरी में उसे पी-नोट के दुरूपयोग का अध्ययन करना चाहिए।
रपट में कहा गया है, ऎसी स्थिति का पता चलने पर सेबी को इसकी सूचना केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को देनी चाहिए। रपट के मुताबिक, इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय को इसकी सूचना दी जानी चाहिए, ताकि उस विशेष अपराध मामले में वह प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई कर सके।
सेबी को पी-नोट के लाभार्थियों पर नजर रखने की प्रणाली का विकास करने के लिए भी कहा गया है। एसआईटी ने कहा, दुरूपयोग रोकने के लिए पी-नोट लाभार्थी स्वामित्व की सूचना हासिल करना जरूरी है। सेबी को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए और ऎसी नियामकीय व्यवस्था करनी चाहिए, जिसमें पी-नोट के आखिरी लाभार्थी मालिक की जानकारी मिल सके।
ठीक सात साल, नौ महीने और 10 दिन पहले इसकी तरह के एक घटनाक्रम में शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई थी। 16 अक्टूबर 2007 को शेयर बाजार बंद होने के बाद सेबी ने पी-नोट के नियमन का मुद्दा उठाया था। अगले दिन ऎसा हुआ जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। सेंसेक्स में उस दिन 9.15 फीसदी या 1,743.96 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।