केंद्र सरकार और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के संयुक्त उपक्रम वाली हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवनहंस में सरकार द्वारा विनिवेश से पहले ओएनजीसी ने तकरीबन 134 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूँजी लगायी है।
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के संयुक्त उपक्रम वाली हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवनहंस में सरकार द्वारा विनिवेश से पहले ओएनजीसी ने तकरीबन 134 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूँजी लगायी है। तेल एवं गैस अन्वेषक कंपनी ओएनजीसी की पवनहंस में 49 प्रतिशत और केंद्र सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार मंजूरी प्रदान कर चुकी है और विनिवेश से पहले की तैयारी जारी है।
हिस्सेदारी कम करने के मूड में नहीं है ओएनजीसी
इस बीच ओएनजीसी ने इसमें अतिरिक्त पूँजी लगाते हुए यह संकेत दिया है कि वह फिलहाल अपनी हिस्सेदारी कम करने के मूड में बिल्कुल नहीं है तथा संभव है कि वह आगे अपनी हिस्सेदारी और बढ़ा दे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पवनहंस पर 139 करोड़ रुपये की देनदारी थी जो सरकार ने उसे इक्विटी शेयर के रूप में दिया है। इस निवेश से हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी थी। ओएनजीसी को अपनी हिस्सेदारी वापस 49 प्रतिशत करने के लिए इसमें करीब 134 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत थी।
पवनहंस का सबसे बड़ा ग्राहक है ओएनजीसी
गत 10 जुलाई को पवनहंस के निदेशक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। अधिकारी ने कहा कि ओएनजीसी पवनहंस का सबसे बड़ा ग्राहक भी है। वह बीच समुद्र में तेल कुँओं तक अपने कर्मचारियों और संसाधनों को पहुँचाने के लिए पवनहंस के हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल करती है और संभव है कि वह अपनी हिस्सेदारी ज्यों की त्यों बनाये रखे। उन्होंने बताया कि अभी मूल्यांकन समिति के समक्ष कुछ कागजात रखे गये हैं। समिति की बैठक इसी सप्ताह होनी है। हालाँकि, संभव है कि एक बैठक में वह मूल्यांकन का काम पूरा न कर सके। उन्होंने कहा कि इसके बाद एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट को अंतिम रूप दिया जायेगा और फिर बोली प्रक्रिया शुरू होगी।
विनिवेश में लग सकता है थोड़ा समय
यह पूछे जाने पर कि क्या विनिवेश प्रक्रिया इसी वित्त वर्ष में शुरू हो जायेगी, अधिकारी ने कहा कि इसमें ज्यादा समय लग सकता है क्योंकि विनिवेश से पहले सरकार सभी दस्तावेजी काम दुरुस्त कर लेना चाहती है।