सूत्रों के अनुसार यह सुविधा कम लागत वाले आवासों और जिनका वेतन 15,000 रूपए से कम है, को ही उपलब्ध हो सकेगी। ईपीएफओ के 5 करोड़ अंशधारकों में इनकी हिस्सेदारी 70 फीसदी है। प्रस्ताव के अनुसार जब ईपीएफओ का कोई अंशधारक बैंक अथवा वित्तीय संस्था से आवास के लिए कर्ज लेगा तो वह अपनी पीएफ की जमा राशि से एडवांस ले सकता है और बैंक या वित्तीय संस्था और ईपीएफओ से करार कर सकता है कि उसका भविष्य का अंशदान किश्त भुगतान के रूप में कर लिया जाए।
इस प्रस्ताव को जल्द ही श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के पास भेजा जाएगा और फिर ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड के पास भेजा जाएगा। इस साल फरवरी में गठित की गई एक्सपर्ट कमिटी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन साथ ही सिफारिश की थी कि डिफॉल्टर घोषित होने पर ईपीएफओ कोई गारंटी नहीं देगा।