आरबीआई क पास हो सरकार को ना कहने की हैसियत : राजन
Published: Sep 04, 2016 10:54:00 am
आरबीआई के पास टॉप लीडरशिप को ना कहने का अधिकार और फिर उसे प्रोटेक्ट किए जाने की जरूरत है
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने रिटायरमेंट से एक दिन पहले सेंट्रल बैंक के काम में आजादी की वकालत की। उन्होंने कहा – आरबीआई के पास टॉप लीडरशिप को ना कहने का अधिकार और फिर उसे प्रोटेक्ट किए जाने की जरूरत है। राजन ने कहा कि ये जरूरत इसलिए है क्योंकि देश को एक मजबूत और इंडिपेंडेंट सेंट्रल बैंक की जरूरत है।
सेंट स्टीफन कॉलेज में इंडिपेंडेंस ऑफ सेंट्रल बैंक पर लेक्चर देते हुए राजन ने कहा कि सेंट्रल बैंक सभी परेशानियों से फ्री नहीं हो सकता। उसे सरकार के तय फ्रेमवर्क के तहत काम करना होता है। राजन ने कहा – आरबीआई को सरकार से ना कहने की हैसियत और प्रोटेक्शन मिलना चाहिए। राजन ने यह बात पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव के कमेंट पर कही, जिसमें उन्होंने मॉनेटरी पॉलिसी पर सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद की बात कही थी।
राजन के अनुसार सुब्बाराव ने कहा था – फिनांस मिनिटस्र एक दिन कहेंगे कि मैं अक्सर रिजर्व बैंक से निराश हो जाता हूं, इतना निराश कि मैं कहीं घूमने जाना चाहता हूं और वह भी अकेले, लेकिन थैंक गॉड रिजर्व बैंक अब भी है। राजन ने कहा – हालांकि हमेशा से सरकारी एंटिटीज रही हैं, जो आरबीआई एक्टिविटीज के पहलुओं की जांच की मांग करती रही हैं। कई लेयर पर स्क्रूटनी, खासकर एंटिटीज की ओर से, जिनको टेक्निकल समझ नहीं होती, की वजह से डिसीजन मेकिंग पर असर पड़ेगा।
राजन ने कहा – इस बारे में आरबीआई के बजट, लाइसेंस, रेग्युलेशन और सुपरविजन सहित भी अहम फैसलों के लिए न तो बोर्ड या उसकी किसी सब-कमेटी की मंजूरी लेनी होती है। आरबीआई बोर्ड की वैकेंसीज को तेजी से भरा जाना चाहिए जिससे बोर्ड की पूरी एक्सपर्टाइज का पूरा इस्तेमाल किया जा सके। बोर्ड की वैकेंसीज कई महीनों से खाली पड़ी हैं।