नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा 7 दिसंबर को आ रही है। महंगाई में नरमी, निवेश में लगातार सुस्ती और नोटबंदी के कारण मांग में बड़ी गिरावट के कारण अधिकांश एक्सपर्ट का मानना है कि आरबीआई रेपो रेट में 25 से लेकर 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती कर सकता है। निवेश की रफ्तार धीमी होनेसे मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई और सर्विस पीएमआई दोनों में कमी आई है।
क्यों होनी चाहिए रेट कट
थोक के साथ ही खुदरा महंगाई दर भी इन दिनों नियंत्रण में है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई 14 महीनों के निचले स्तर 4.20 फीसदी पर पहुंच गई, जो सितंबर में 4.39 फीसदी थी। यह 2016-17 के लिए आरबीआई के टारगेट से भी कम है। आरबीआई का यह टारगेट 5 फीसदी है। अधिकांश इकोनॉमिस्ट का मानना है कि महंगाई और नीचे जाएगी, क्योंकि नोटबंदी के कारण वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। ट्रेड एसोसिएशन के आकलन के अनुसार यह गिरावट 25 फीसदी से लेकर कुछ मामलों में 75 फीसदी तक है। नोटबंदी से आई आर्थिक सुस्ती के कारण वर्तमान वित्त वर्ष 2016-17 की जीडीपी ग्रोथ रेट में एक फीसदी तक की कमी आने की आशंका जताई जा रही है।
क्रिसिल ने भी घटाया ग्रोथ अनुमान
क्रिसिल का भी मानना है कि इकोनॉमिक एक्टिविटी को सामान्य होने में कुछ महीने लग जाएंगे। उसने भी जीडीपी ग्रोथ अनुमान को एक फीसदी कम करके इस साल के लिए 6.9 कर दिया है। इससे साफ है कि पहली छमाही की 7.2 फीसदी की तुलना में दूसरी छमाही में ग्रोथ 6.6 के आसपास रह सकती है। मांग में कमी आने से महंगाई का कम होना स्वाभाविक है।
अक्टूबर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती थी
अक्टूबर में गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति कमेटी ने रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट कम करके 6.25 फीसदी कर दिया था, जो 6 साल का निचला स्तर है। अधिकांश इकोनॉमिस्ट का कहना है कि नोटबंदी के पहले ही 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का अनुमान लगाया जा रहा था। अब जबकि नोटबंदी ने आर्थिक क्रियाकलापों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, ऐसे में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती जरूरी हो गई है।
क्या होगा लाभ
रेपो रेट में कटौती से बैंक ब्याज दरों में कमी आएगी। नोटबंदी के बाद बैंकों के पास बड़ी मात्रा में पैसे हैं। इसे देखते हुए बैंकों ने डिपोजिट रेट्स में कमी भी की है। अगर आरबीआई रेट कट करता है तो ब्याज दरों में फिर कमी आएगी। इससे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन समेत सभी लोन सस्ते होंगे और बाजार में आर्थिक क्रियाकलापों में थोड़ी रफ्तार आएगी।
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