नई दिल्ली. नोटबंदी लोगों की बचत को प्रोडक्टिव एसेट में उपयोग करने के लिए एक बड़ा अवसर बनी है। सीआईआई ने कहा कि एसएमई और कंपनियों का एकीकृत आंकड़ा बैंकों को लोन आवेदक की पात्रता के आकलन के बारे में जरूरी सूचना उपलब्ध करा सकता है। इन उपायों से बैंक अलग-अलग लोन आवदेकों के हिसाब से ब्याज दर नीति तैयार कर सकते हैं।
सिस्टम में पहले से है डेटा
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि सिस्टम में डेटा है और इसके आधार पर बैंक साख रखने वाले आवेदकों को लोन दे सकते हैं। यह व्यवस्था एनपीए पर नियंत्रण में मददगार हो सकती है। सीआईआई ने सुझाव दिया कि विभिन्न स्रोतों के जरिये एसएमई और कंपनियों के बारे में पर्याप्त आंकड़ा बैंकों और कर्ज देने वाले अन्य संस्थानों को उपलब्ध कराया जा सकता है।
इनसे भी मिलेगी मदद
कर्ज लेने वाली इकाई की पहचान के लिये आंकड़ा पैन, टीआई (सीआईएल), जीएसटीएन, कंपनी का संविधान और उसके गठन से जुड़े करार की भी मदद ली जा सकती है।
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