scriptट्रेडर्स ने कहा, पुराने नोट न लें तो बोहनी भी नहीं होगी | Traders are forced to take old currency notes | Patrika News
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ट्रेडर्स ने कहा, पुराने नोट न लें तो बोहनी भी नहीं होगी

नोटबंदी का ट्रेडर्स पर काफी बुरा असर हो रहा है। प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में दुकान लगाने वाले अधिकतर व्यापारियों के पास अब तक कार्ड स्वाइप मशीनें नहीं पहुंची हैं। इससे वे एक हजार और पांच सौ रुपए के पुराने नोट लेने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि अधिकांश लोगों के पास अभी भी नए करेंसी नोट नहीं आए हैं।

Nov 21, 2016 / 07:02 pm

umanath singh

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नई दिल्ली. नोटबंदी का ट्रेडर्स पर काफी बुरा असर हो रहा है। प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में दुकान लगाने वाले अधिकतर व्यापारियों के पास अब तक कार्ड स्वाइप मशीनें नहीं पहुंची हैं। इससे वे एक हजार और पांच सौ रुपए के पुराने नोट लेने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि अधिकांश लोगों के पास अभी भी नए करेंसी नोट नहीं आए हैं। इससे एक तरफ जहां लोग चाहकर भी चीजें नहीं खरीद पा रहे हैं, वही ट्रेडर्स की चीजें नहीं बिक पा रही हैं। इससे पिछले वर्षों की तुलना में इस साल मेले में बिक्री आधी से भी कम हो गई है।

कार्ड स्वाइप मशीन उपलब्ध नहीं
सरस मेले में झारखंड से आए एक व्यापारी ने कहा कि कार्ड मशीन नहीं होने की स्थिति में यदि पुराने नोट स्वीकार नहीं करेंगे तो बोहनी भी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले एक्सिक बैंक के पास मशीन के लिए आवेदन किया था। बैंक के अधिकारियों ने कहा था कि दो दिन में मशीन आ जाएगी, लेकिन अब तक नहीं मिली है। इसके बाद स्टेट बैंक के पास आवेदन किया है। उनका कहना है कि पुराने नोटों पर प्रतिबंध के कारण पिछले साल के मुकाबले इस साल बिक्री काफी कम रह गयी है।

परेशान हैं हैंडिक्राफ्ट ट्रेडर्स
उल्लेखनीय है कि 08 नवंबर की रात प्रधानमंत्री द्वारा अचानक नोटबंदी के साथ खातों तथा एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करने की घोषणा के बाद से ही लोगों के पास वैध नकदी की कमी हो गई है। व्यापार मेले में आई निजी कंपनियों के अधिकतर स्टॉलों पर कार्ड स्वाइप मशीनें पहुंच चुकी हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों से हस्तशिल्प तथा पारंपरिक उत्पादों के संवद्र्धन के मद्देनजर जिन व्यापारियों को दुकानों का आवंटन हुआ है, उनके पास अभी मशीनें नहीं पहुंच सकी हैं।

विदेशी ट्रेडर्स सबसे अधिक परेशान
सबसे बुरा हाल तो विदेशों से आए व्यापारियों का है। बांग्लादेश से आए अरिफुल इस्लाम ने मिली-जुली ङ्क्षहदी-बांग्ला में बताया कि भारत में जब उनका बैंक खाता ही नहीं है तो कार्ड स्वाइप मशीन या पेटीएम के लिए तो वे सोच भी नहीं सकते। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी वे आए थे। उस समय जहां एक-एक ग्राहक 10-20 हजार रुपए की खरीदारी करता था, वहीं इस बार पूरे दिन भर में बमुश्किल 10 हजार रुपए की बिक्री हो पा रही है। उन्होंने बताया कि जो लोग पुराने नोट देते हैं, उन्हें भी वे 20 फीसदी तक कमीशन देकर नए नोटों में बदलवाने को विवश हैं, क्योंकि यहां का कोई भी बैंक उनके नोट नहीं बदलेगा। उत्तर प्रदेश की पारंपरिक साडिय़ां लेकर यहां आए बुनकर अब्दुल हसन ने बताया कि अन्य वर्षों की तुलना में इस बार बिक्री आधी रह गई है।

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