scriptआम बजट : मूडीज का मिला-जुला रूझान | Union budget: Mood mixed at Moody`s | Patrika News

आम बजट : मूडीज का मिला-जुला रूझान

Published: Mar 02, 2015 08:00:00 am

मूडीज ने
कहा देश का बजट कंपनियों की साख (क्रेडिट) के लिए है
सकारात्मक

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चेन्नई। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा है कि देश का वित्त वर्ष 2015-16 का बजट कंपनियों की साख (क्रेडिट) के लिए सकारात्मक है,जबकि बैंकों के लिए यह बजट मिला-जुला रहा है। मूडीज के मुताबिक, हालांकि, सेवा कर में वृद्धि साख के लिहाज से नकारात्मक है, क्योंकि इससे भारतीय कंपनियों की उत्पादन लागत में वृद्धि होगी।

मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ क्रेडिट अधिकारी विकास हलान ने अपने बयान में कहा, “करों को घटाने और युक्तिसंगत बनाने के लिए उठाए गए कदमों से आर्थिक विकास दर को बढ़ावा मिलेगा और कारोबार करने में आसानी से देश में गैर-वित्तीय कंपनियों के ऋण प्रोफाइल को मदद मिलेगी, लेकिन ईंधन सब्सिडी आवंटन में कटौती तेल और गैस कंपनियों की साख के लिए नकारात्मक है।”

बजट में अगले चार वर्षो की अवधि में गैर वित्तीय कंपनियों के लिए कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही उत्पाद शुल्क दर बढ़ाना और एक अप्रैल 2016 से उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने से कर संरचना को युक्तिसंगत बनाना भी प्रस्तावित है। दूसरी तरफ, सेवा कर में प्रस्तावित वृद्धि कंपनियों की साख के लिहाज से नकारात्मक है, क्योंकि इससे भारतीय कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ेगी।

बजट में बुनियादी ढांचा (बिजली, राजमार्ग और रेलवे सहित) क्षेत्र के लिए सुझावों से सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा। मूडीज के मुताबिक, बजट में राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचागत कोष की स्थापना करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। इससे बुनियादी ढांचागत वित्त परियोजनाओं में ऋण और निवेश बढ़ेगा, जिससे बुयिनादी ढांचागत क्षेत्र की कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद मिल सकेगी। मूडीज के मुताबिक, बैंकों के लिए बजट में शामिल सुझावों का रूख मिला-जुला है। उदाहरण के लिए, बैंकों के लिए 2015 की तुलना में 2016 में पूंजी आवंटन कम है।

बजट में नए दिवालियापन कानून को पेश करने का भी प्रस्ताव रखा गया है, जो कि क्रेडिट के लिहाज से सकारात्मक होगा। दिवालियापन कानून की मौजूदा कमजोर संरचना बैंकों की साख निर्माण में बड़ी बाधा है। हालांकि अभी इस नए कानून के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है।
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