जिन तीन बातों पर राजन थे नापसंद, उन्हीं पर पटेल बने पहली पसंद
Published: Aug 21, 2016 03:51:00 pm
सितंबर में रघुराम राजन का कार्यकाल खत्म होने के बाद उर्जित पटेल आरबीआई चीफ होंगे
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक को उर्जित पटेल के रूप में नया गवर्नर मिल गया है। उर्जित फिलहाल आरबीआई के डिप्टी गवर्नर हैं और सितंबर में रघुराम राजन का कार्यकाल खत्म होने के बाद वे आरबीआई चीफ हो जाएंगे। खास बात तो यह है कि भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी जिन तीन बातों को लेकर रघुराम राजन को नापसंद करते थे, उर्जित में भी वहीं बातें हैं, लेकिन उन्हें स्वामी का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
1. विदेशी मानसिकता
स्वामी ने कहा था कि अमरीका में पढ़े राजन ग्रीन कार्ड होल्डर हैं और दिमागी तौर पर पूरे भारतीय नहीं हैं। जबकि उर्जित पटेल की तो स्कूलिंग भी विदेश में ही हुई है। उर्जित मूल रूप से गुजरात के खेड़ा जिला के महुधा गांव के हैं। उनके माता-पिता केन्या में रहते थे और उनका जन्म भी नैरोबी में हुआ था। उर्जित ने स्कूलिंग से पीएचडी तक लंदन और अमरीका में की है।
2. केवल महंगाई की चिंता
राजन पर आरोप लगा कि उन्होंने स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को नुकसान और अमरीका को फायदा पहुंचाया है, जबकि राजन का यह फैसला उर्जित कमेटी की सिफारिश पर ही लिया गया था। उर्जित की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सिफारिश की थी कि रिजर्व बैंक महंगाई रोकने पर ध्यान दे और खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
3. यूपीए के करीबी
राजन की जब नियुक्ति हुई, तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। वे अब भी चिदंबरम के करीबी बने हुए हैं। उधर उर्जित ने यूपीए का 100 डे का प्लान बनाया था। यूपीए सरकार ने ही उर्जित को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनाया था। उस समय उन्होंने ही यूपीए 2 का 100 दिन का प्लान बनाया था और ये भी चिदंबरम के करीबी हैं।
इसलिए बनी उर्जित के नाम पर सहमति
1. रघुराम राजन ने ही की पहली सिफारिश
– सबसे पहले रघुराम राजन ने उर्जित पटेल का नाम सुझाया था। उनका कहना था कि जो काम तीन साल में हुए, उनमें पटेल की अहम भूमिका।
2. उर्जित पटेल को हमेशा आगे रखा
– उर्जित सबसे अहम मॉनिटरी पॉलिसी डिवीजन के प्रमुख थे। पॉलिसी से जुड़े सवालों के दौरान राजन उन्हें ही जवाब देने के लिए आगे करते थे।
3. नॉन ब्यूरोक्रेसी बैंकग्राउंड होना
-आरबीआई में 5 डिप्टी गवर्नरों में एक अर्थशास्त्री होता है। पटेल ब्यूरोक्रेसी कैटेगरी से थे। इसका फायदा आरबीआई को आगे भी मिलेगा।