राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के मुखिया और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में सियासत से जुड़ी कई अहम घटनाओं कई राजनीतिक तल्खियों को लेकर खुलासे किए हैं।
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के मुखिया और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में सियासत से जुड़ी कई अहम घटनाओं कई राजनीतिक तल्खियों को लेकर खुलासे किए हैं। पवार कि आत्मकथा ‘ऑन माई टम्र्स: फ्राम ग्रासरूट टू द कॉरिडोर ऑफ पॉवर’ का विमोचन गुरुवार को शरद पवार के 75वें जन्मदिन पर विज्ञान भवन में किया गया।
राजीव गांधी और 1991 में देश के पीएम रहे चंद्रशेखर के बीच बिगड़ते रिश्ते का जिक्र किताब में है। पवार लिखते हैं बारामती में चार मार्च 1991 को पवार की बेटी सुप्रिया सुले की शादी के कार्यक्रम में चंद्रशेखर और राजीव गांधी शरीक हुए थे।
शादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राजीव गांधी को अपने सरकारी विमान से दिल्ली चलने का प्रस्ताव दिया, राजीव पहले तो तैयार हो गए लेकिन बाद में इनकार कर दिया।
उन्होंने पीएम से कहा कि वे पवार के परिवार के साथ कुछ और समय बिताना चाहते हैं और उन्हें पुणे एयरपोर्ट पर मिलेंगे। बाद में राजीव ने पवार से कहा था, ‘मैं उनके (चंद्रशेखर के) साथ दिल्ली नहीं जाना चाहता। तुम उन्हें जाने के लिए कह सकते हो।’
दो दिन बाद सरकार से कांग्रेस से समर्थन वापस
पवार लिखते हैं कि राजीव की ओर से विमान में बैठने का प्रस्ताव ठुकराने के दो दिन बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और देश को आम चुनाव से गुजरना पड़ा था। पुस्तक में यह भी जिक्र है कि चंद्रशेखर के साथ पवार की नजदीकियों के कारण राजीव गांधी के साथ उनके आपसी रिश्ते किस तरह से प्रभावित हुए।
पीएम लंच के लिए पहुंचे महाराष्ट्र सदन
चंद्रशेखर के समर्थन से ही पवार 1978 में 38 वर्ष की उम्र में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। नवंबर 1990 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार गिरी थी और चंद्रशेखर ने पीएम के रूप में कार्यभार संभाला तो पवार अपने परिवार के साथ उन्हें बधाई देने दिल्ली पहुंचे।
तब उनकी बेटी सुप्रिया चंद्रशेखर से पूछा कि अंकल, क्या आप शपथ ग्रहण के बाद हमारे यहां लंच करेंगे।’ भावी पीएम ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था और प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए लंच करने महाराष्ट्र सदन पहुंचे थे।