script50 साल से नहीं बनी इस गांव में सड़क, मांझी ने दिया 60 परिवारों को रास्ता | Gariaband: Make Road in village after 50 year | Patrika News

50 साल से नहीं बनी इस गांव में सड़क, मांझी ने दिया 60 परिवारों को रास्ता

locationगरियाबंदPublished: Dec 10, 2016 12:37:00 am

Submitted by:

deepak dilliwar

गरीब आदिवासी की पहल के चलते आज करीब 60 आदिवासियों के परिवार को सड़क की सुविधा नसीब हो पाई है। एक आदिवासी के पहल ने पूरे 60 परिवारों को प्रमुख सड़कों से भी जुड़ाव करवा दिया 

make road

make road

रविकांत तिवारी@देवभोग. कहते हैं कि जहां सोच होती है, वहां विकास होता। इस कथन को घुमरगुड़ा के एक गरीब आदिवासी चैनसिंह मांझी ने सच कर दिखाया है। मामले में गरीब आदिवासी की पहल के चलते आज करीब 60 आदिवासियों के परिवार को सड़क की सुविधा नसीब हो पाई है। वहीं एक आदिवासी के पहल ने पूरे 60 परिवारों को पंचायत मुख्यालय से लेकर प्रमुख सड़कों से भी जुड़ाव करवा दिया है।

इस आदिवासी की सोच को पूरे गांव के साथ ही संसदीय सचिव ने भी नमन किया है। चैनसिंह ने अपनी जमीन की परवाह किए बिना करीब 40 डिसमिल जमीन सरकार को दान कर दिया। वहीं चैनसिंह के दान के बाद ही पंचायत के द्वारा वहां सड़क का निर्माण करवाया जा सका है। चैनसिंह के इस प्रयास की प्रशंसा आसपास के गांव के लोग भी करते नहीं थकते है।

50 सालों से था गांव सड़क विहीन
घुमरगुड़ा पंचायत के अन्तर्गत आने वाला आश्रित ग्राम खरकारपारा पिछले 50 सालों से सड़क विहीन था। यहां के लोग सड़क की मांग को लेकर अधिकारी और जनप्रतिनिधि को अवगत कराते रहे, लेकिन कोई अपनी निजी जमीन दान करने को तैयार नहीं था। इसी के चलते कई बार सरपंच और अधिकारियों को भी सड़क निर्माण के लिए चुप रहना पड़ा। इस दौरान गांव में कई सरपंचों ने बैठक भी की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इसके बाद लोग निराश हो चुके थे। वहीं एक बार फिर सरपंच देवेन्द्र सिंह ठाकुर की उपस्थिति में बैठक की गई। बैठक के दौरान कई घंटे चले बातचीत के दौरान खरकारपारा निवासी चैनसिंह मांझी सबके सामने आया और उसने सबके सामने 40 डिसमिल जमीन दान करने की घोषणा की। वहीं चैनसिंह के दान करने के बाद आज भोईपारा से खरकारपारा के बीच करीब एक किलोमीटर की मुरम की सड़क पंचायत द्वारा बना दी गई है।

मेहनत-मजदूरी करके खरीदी थी जमीन
चैनसिंह मांझी बताता हैं कि उसने कड़ी मेहनत करके करीब 50 डिसमिल जमीन खरीदी थी। वहीं 50 डिसमिल उसके पुरखौती का जमीन है। आज वह खेत के ऊपर ही निर्भर है। वहां से आने वाली थोड़ी-बहुत फसलों से ही उसका जीवन-यापन होता है। वहीं अब 40 डिसमिल जमीन सरकार को दान दिए जाने के बाद भी चैनसिंह मांझी के चेहरे पर खुशी झलक रही है। चैनसिंह का कहना है कि सरकार विकास करना चाहती हैं, ऐसे में हमें भी सरकार के कदम के साथ विकास को आगे बढ़ाने के लिए कदम से कदम मिलाना पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव गोवर्धन सिंह मांझी ने बताया किचैनसिंह मांझी की जितनी तारीफ करूं कम है। ऐसे व्यक्ति ही साबित करते हैं कि उन्हें हर कीमत पर अपने गांव का विकास चाहिए। चैनसिंह ने जिस तरह अपनी जमीन दान कर सड़क बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उसके लिए वह तारीफ के काबिल है। चैनसिंह को धन्यवाद देना चाहता हूं। क्योंकि उसके इस पहल के चलते कई लोग जागरूक होंगे।

ग्राम घुमरगुड़ा के सरपंच देवेन्द्र सिंह ने बताया कि करीब 50 सालों से खरकारपारा के लोग सड़क के लिए तरस रहे थे। लोग हमेशा मांग कर रहे थे कि सड़क वहां बन जाए। लेकिन कोई अपनी निजी जमीन देने को तैयार नहीं था। जिस तरह चैनसिंह मांझी ने निजी जमीन दान कर वहां सड़क का निर्माण करवाया, इसके लिए उसकी जितनी तारीफ करें वह कम है।

चैन सिंह मांझी ने बताया कि मैन देखा कि लोग पिछले पचास साल से कितनी परेशानी में जी रहे हैं। इसी के चलते मैने निर्णय लिया कि भले ही जमीन चली जाए, लेकिन लोगों की समस्या दूर हो जाए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो