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खुलासाः आरटीआई में पूर्व जीडीए वीसी के कारनामे का पर्दाफाश

locationगाज़ियाबादPublished: Jul 13, 2017 02:14:00 pm

Submitted by:

lokesh verma

पूर्व वीसी संतोष यादव से वर्षों रहने के बावजूद भी वसूला सिर्फ तीन माह का किराया

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गजियाबाद. महानगर का विकास करने वाली डेवलपमेंट एजेंसी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण भी कमाल है। प्राधिकरण बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं बोर्ड अध्यक्ष पद से संतोष यादव तबादले के लंबे समय बाद तक भी प्राधिकरण उपाध्यक्ष के राजनगर स्थित आवास में रहे, लेकिन उनसे केवल तीन माह का किराया ही वसूल किया गया। इस बीच बिजली बिल आदि के तौर पर कितनी रकम वसूल की गई उसे प्राधिकरण के अधिकारी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन एक आऱटीआई के जरिए इस कारनामे का खुलासा हुआ है।

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पत्रिका ने उठाया था मुद्दा

उल्‍लेखनीय है कि पत्रिका ने प्रमुखता से खबर को प्र‍काशित करते हुए बताया था कि वीसी का पद छोड़ने के लंबे समय बाद भी राजनगर में तत्कालीन वीसी ने अपने बंगले को खाली नहीं किया था। अब आरटीआई के जरिए मिली जानकारी में बताया गया है कि पूर्व वीसी संतोष य़ादव की तरफ से सिर्फ तीन माह का किराया ही जमा कराया गया है।



सालों बाद खाली हुआ बंगला

आरटीआई एक्टिविस्ट वेदप्रकाश अग्रवाल निवासी चिरंजीव विहार ने इसके संबंध में एक आरटीआई डालकर जबाव मांगे थे। इस पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। वेदप्रकाश अग्रवाल के मुताबिक प्राधिकरण उपाध्यक्ष आवास में संतोष कुमार यादव निवास कर रहे थे। बंगले का किराया जून 2015 से 14 सितंबर 2015 तक 72 हजार 15 रूपए वसूल किया गया। जबकि 2015 में कार्यकाल खत्म होने के बाद भी बंगला खाली नहीं किया गया था।

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वीसी विजय यादव के बंगला खाली कराने का नहीं है रिकार्ड

इसके बाद में तत्कालीन उपाध्यक्ष विजय कुमार यादव प्राधिकरण में 20 मई 2015 से 14 अप्रैल 2017 तक कार्यरत थे। विजय कुमार यादव जिस राजनगर के भवन संख्या 5/105 में रह रहे थे। वह 47 हजार रूपए प्रति माह दर से किराए पर लिया गया था। ये भवन विजय कुमार गुलाटी एवं श्रीमती रंजना गुलाठी का था। बंगला खाली करने का रिकार्ड फाइल पर उपलब्ध नहीं है।

ये कहते हैं आरटीआई एक्टिविस्ट

RTI

आरटीआई एक्टिविस्ट वेद प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि तत्कालीन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतोष यादव द्वारा हस्तांतरण होने के बावजूद भी सरकारी बंगला खाली नहीं किया था और नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कुमार यादव किराए का बंगला 47000 प्रति माह पर लेना पड़ा। जिससे की संतोष यादव पर किराए के रूप में प्राधिकरण का लाखों रुपया निकलता है, जो कि जनता व राष्ट्र का ही है, इसकी वसूली की जानी चाहिए।
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