गाजियाबाद। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से बसपा को बड़ा झटका लगा है। मायावती के खास करीबी रहे पूर्व राज्य सभा सांसद नरेंद्र कश्यप ने हाथी को छोड़कर अपने समर्थकों के साथ में भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। पत्रिका ने एक दिन पहले ही इसकी संभावना जताई थी। अब इस पर मुहर लग गई है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने पार्टी के दिल्ली स्थित कार्यालय पर सदस्यता दिलाई। उनके साथ काफी संख्या में समर्थक भी भाजपा में शामिल हुए हैं। तीन राज्यों के प्रभारी रहे नरेन्द्र कश्यप के भाजपा में आने से चुनाव में इसका सीधा फायदा पार्टी को मिल सकता है।
पूर्व सांसद नरेन्द्र कश्यप ने जमानत पर रिहा होने के बाद में कई बार बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से मुलाकात की थी। आलाकमान से उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन वापसी का कोई दरवाजा नहीं खोला गया। इसके बाद में सपा के साथ भी कश्यप के समीकरण सहीं नहीं बैठ पाए।
दरअसल कुछ समय पहले पूर्व राज्यसभा सांसद नरेन्द्र कश्यप की पुत्रवधु हिमानी कश्यप की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। बाथरूम में हिमानी का शव मिला था। मायके पक्ष से बसपा के कद्दावर रहे हिमानी के पिता हीरालाल कश्यप ने दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। अपनी छवि को बचाने के लिए बसपा ने नरेन्द्र कश्यप को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके कुछ समय बाद ही पुत्रवधु के पिता को भी पार्टी से बाहर कर दिया था।
नरेन्द्र कश्यप काफी लंबे समय से सपा और भाजपा के बीच किसे चुने यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे। अभी पिछले तीन महीनों में उन्होंने अपने समर्थकों के तीन अलग-अलग अधिवेशन भी बुलाए थे और उनमें भावी राजनीतिक स्थितियों के बारे में विस्तार से बातचीत भी की थी। बताया जाता है कि उनके समर्थकों ने उन्हें भाजपा में शामिल होने की सलाह दी, जबकि उनके पास सपा के अखिलेश खेमे से भी कई निमंत्रण प्राप्त हुए थे।
नरेन्द्र कश्यप 17 पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिलवाने के लिए पिछले कई सालों से निरंतर संघर्ष कर रहे थे। अब वो भाजपा में शामिल होने के बाद में वो केन्द्र सरकार पर जोर देकर अपनी इस पुरानी मांग को पूरा करवाने में सफल सकेंगे।