शहर इमाम ने कहा- भारत माता की जय बोलने में कोई हर्ज नहीं, सियासी मतलबों को रंग देने के लिए जारी होते हैं फतवे
गाजियाबाद। वंदेमातरम के बाद अब दारुल उलूम ने ‘भारत माता की जय’ के नारे को भी इस्लाम के खिलाफ बताया है लेकिन मुस्लिम समाज ही इस फतवे के खिलाफ उतर आया है। गाजियाबाद में दारुल उलूम के इस फतवे का मुस्लिम समाज के लोगों ने जमकर विरोध किया है। शहर इमाम से लेकर राजनीतिक और अधिवक्ता वर्ग के मुस्लमानों ने इसकी जमकर निंदा करते हुए कहा कि सियासी रंग और अपनी दुकानों को चलाने के लिए इस तरीके के फतवे जारी किए जाते हैं।
गाजियाबाद के शहर इमाम केजेड बुखारी के अनुसार, देवबंद में दारुल उलूम की तरफ से जो फतवा जारी किया गया है। उसे हम नहीं मानते। मुझे भारत माता की जय बाेलने में कोर्इ हर्ज नहीं है। वहीं, इस फतवे के दो मतलब है, राजनीतिक और धार्मिक। फतवे इसलिए जारी किए गए हैं, जिससे अपना सियायी मतलब साधा जा सके। ओवैसी अपनी राजनीति को भुनाने के लिए भारत माता की जय नहीं बोल रहे। बचपन से हमारे लिए भारत माता की जय का मतलब हिन्दुस्तान जिंदाबाद रहा है।
धार्मिक स्थलों से तय होता है राजनीतिक भविष्य
कांग्रेस महानगर उपाध्यक्ष सलीम सैफी के अनुसार, आजकल देवबंद और अन्य धार्मिक स्थलों से इस तरीके के फतवे जारी किए जाते हैं, जो बेबुनियाद हैं। असली सच्चाई ये हैं कि धार्मिक स्थलों से लोगों के राजनीतिक भविष्य तय होते हैं। फतवा जारी करना है तो सही मतलब के लिए करें। सबसे पहले हमारे लिए देश है। उसके बाद में धर्म है। जब हम गुलाम थे तो अंग्रेजों के हिसाब से अपने धर्म के कानूनों को चलाते थे। अब फतवों के जरिए दुकान चलाई जा रही है।
भारत में रहते हैं और गर्व है
सुरेंद्र कोली समेत कई अहम केसों के वकील रहे खालिद खान के अनुसार, हम भारत में रहते हैं और हमें इसके लिए गर्व है। दारुल उलूम और अन्य जगह से फतवे जारी करने वाले लोग बेवकूफ हैं। इन्हें सही बातों का पता नहीं है।