जिला अस्पताल में फायर को बुझाने वाला सिलेंडर 2010 से पड़ा था बंद
Ghazipur district Hospital
गाजीपुर. प्रदेश का स्वास्थ महकमा कितना लापरवाह है इसकी बानगी दो दिन पूर्व लखनऊ के केजीएमयू की घटना की बाद सामने आई थी। मगर इस घटना के बाद भी अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। गाजीपुर के जिला अस्पताल में फायर को बुझाने वाला सिलेंडर जो 2010 में खरीदा गया था, वह उसके बाद से ही बक्से में बंद पडा था। मीडिया ने जब इस मामले को सामने आया तो उसे बाहर लाया आया। वहीं जब मरीजों की सुरक्षा में इतनी बडी लापरवाही के बारे मे सीएमएस से जानने का प्रयास किया तो वह हंसते नजर आये।
सरकार सरकारी महकमों में आमजन की सुरक्षा के लिये चाहे जितना धन खर्च कर ले, लेकिन उस धन का जमीनी हकीकत क्या है इसकी बानगी दो दिन पूर्व केजीएमयू की घटना के बाद सामने आ गयी है। गाजीपुर के जिला अस्पताल और उसका प्रशासन अपने मरीजो को लेकर इस घटना के बाद कितना सक्रिय है, सोमवार को उसकी पोल अस्पताल के रियल्टी टेस्ट के दौरान सामने आ गई। जिला अस्पताल मे करीब प्रतिदिन हजार से ऊपर मरीज ओपीडी मे आते है तो लगभग उतना ही वार्डो मे एडमिट है।
इन मरीजों की सुरक्षा के लिये अस्पताल प्रशासन कितना गम्भीर है। इसके बारे में जब इमरजेन्सी वार्ड मे फायर सिलेण्डर के बारे मे जानकारी चाही तो दबे जुबान मे बताया गया की वो बक्से मे बंद है। ज्यादा प्रयास किया गया तो एक कर्मचारी उस सिलेण्डर को निकाल कर लाया तो पता चला की वह 2010 के बाद से कभी प्रयोग ही नही किया गया है। इतना ही नही महिला वार्ड मे जब इसका जायजा लिया तो पता चला की यहां पर अगलगी की दशा मे मरीजो को बाहर निकलने के लिये एक रास्ते के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही है।
वहीं मरीजों की सुरक्षा के सवाल पर जब जिला अस्पताल के सीएमएस से जानने का प्रयास किया तो वे इस सवाल पर पहले हंसे और फिर बताया कि यह अस्पताल डिमालीस होना है इसलिये इस तरह का कोई भी प्रबन्ध जिला अस्पताल में नही है।