सिक्के की उछाल में मिली मात और भारतीय गेंदबाजी के उड़ते चिथड़े ने सीरीज के फाइनल मैच को एक तरफा बना दिया था।
सिक्के की उछाल में मिली मात और भारतीय गेंदबाजी के उड़ते चिथड़े ने सीरीज के फाइनल मैच को एक तरफा बना दिया था।
दर्शक कुछ दिनों से लगातार हार, हार और हार देखे जा रहे हैं। वे सोच रहे हैं कि शायद धोनी कुछ कमाल कर जाएं पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा।
दक्षिण अफ्रीका के
खिलाफ टी-20 सीरीज के बाद वनडे सीरीज में भारतीय कप्तान एमएस धोनी का जादू
नहीं दिखा, जैसा कभी मैदान पर दिखता था। नतीजतन क्रिकेट फैंस और दिग्गज
क्रिकेटर अब धोनी के नेतृत्व क्षमता पर ही सवाल खड़े करने लगे हैं। हार का जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह नहीं थमा रहा। बांग्लादेश ने पानी पिलाया और अब दक्षिण अफ्रीका ने। यह तो अच्छा हुआ कि टीम इंडिया ने दो मुकाबले अपने नाम जरूर कर लिए।
खराब गेंदबाजी भुवनेश्वर कुमार वनडे
में सबसे ज्यादा रन लुटाने वाले दूसरे गेंदबाज बन गए हैं। उन्होंने 10 ओवर
में 106 रन देकर 1 विकेट झटके। वैसे सबसे ज्यादा रन लुटाने का रिकॉर्ड एमएल
लुईस के नाम है, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ही 113 रन दिए थे। भारत के लिए मोहित शर्मा सबसे महंगे गेंदबाज साबित हुए, जबकि तीन ओवरों में 19 रन देने वाले रैनी सबसे किफायती रहे। खराब फिल्डिंगअमित मिश्रा ने शुरु में अच्छी गेंदबाजी करके डिकॉक और डुप्लेसी के खिलाफ कुछ मौके बनाए भी थे पर वो मोहित, रैना और रहाणे की खराब फिल्डिंग ने कबाड़ा कर दिया।
शतकधारी खिलाड़ीसीरीज में अपना तीसरा शतक 57 गेंदों में पूरा करने वाले कप्तान डिवीलियर्स, डुप्लेसी और क्विंटन डिकॉक ने 438 का ऐसा गगनचुंबी स्कोर बना दिया कि धोनी की टीम ने खेलने से पहले ही अपनी हार मान ली थी।
पहली बड़ी हारअतीत मे शायद ही माही की टीम को अपने घर में 200 से भी ज्यादा के अंतर से हार का सामना करना पड़ा हो। इस कड़वी हार से हमारी टीम को सबक लेना चाहिए और कुछ एसा करना होगा। जिससे भारत का क्रिकेट में नाम हो। भारत पहले भी 350 से ज्यादा का टारगेट चेज कर चुका है, पर यह टारगेट लगभग नामुमकिन सा इसलिए था कि वर्तमान में भारत के पास सहवाग, सचिन, सौरव और गंभीर जैसी विस्फोटक बल्लेबाजी पंक्ति नहीं थी।
आपको याद होगा कि यह वही अफ्रीकी टीम है जिसने इतिहास की सबसे सफल चेज करते हुए कंगारुओं को हराया था। मेजबान दक्षिण अफ्रीका ने जोहांसबर्ग में ठीक यही स्कोर ही तो बनाया था लेकिन तब उनके पास कद्दावर हर्शेल गिब्स जैसे खिलाड़ी थे।
बीसीसीआई जवाबदेही तय करेसमय आ गया है कि बीसीसीआई जवाबदेही भी उठाए और जो खिलाड़ी फॉर्म में नहीं है उनको लगातार ढोने की क्या तुक है। कप्तानी को लेकर जो चल रहा है उसके भी खत्म करने की कोशिश करे।