इराक के पीएम हैदर अल-आब्दी ने रविवार को मोसुल पहुंचकर सेना को बधाई दी। इराकी सेनाएं पिछले साल 17 अक्टूबर से मोसुल में आईएस के लड़ाकों के खिलाफ लड़ रही थी, उनकी इस लड़ाई में अमरीकी वायुसेना उन्हें मदद कर रही थी।
बगदाद: इराकी सेना ने आठ माह तक चले खूनी संघर्ष के बाद आतंकी संगठन आईएस की राजधानी कहे जाने वाले मोसुल को आजाद करा लिया है। इस युद्ध ने मोसुल के बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया था, वहीं हजारों आम नागरिक मारे गए जबकि 9 लाख से ज्यादा लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा।
जून 2014 से था आईएस का कब्जा
इराक के पीएम हैदर अल-आब्दी ने रविवार को मोसुल पहुंचकर सेना को बधाई दी। इराकी सेनाएं पिछले साल 17 अक्टूबर से मोसुल में आईएस के लड़ाकों के खिलाफ लड़ रही थी, उनकी इस लड़ाई में अमरीकी वायुसेना उन्हें मदद कर रही थी। मोसुल पर जून 2014 से आईएस का कब्जा था। इराकी सेना के हजारों सैनिक, कुर्दिश पेशमर्गा लड़ाके, सुन्नी अरब आदिवासी और शिया विद्रोही लड़ाके मोसुल को नियंत्रण में लेने के लिए आईएस लड़ाकों से लड़ रहे थे।
30 लड़ाके ढेर, बगदादी लापता
लड़ाई में आईएस के तीस लड़ाके मारे गए हैं। इराकी सेनाओं से बचकर भागने के प्रयास में आतंकियों ने टिगरिस नदी में छलांग लगा दी। वहीं आईएस के सरगना अबू बकर अल बगदादी का कोई पता नहीं चल सका है।
इराकी सेना ने टिगरिस नदी पर फहराया झंडा
पहले इराक की सरकारी टीवी ने रिपोर्ट दी थी कि सुरक्षाबल टिगरिस नदी के किनारे तक पहंच गए हैं और वहां इराकी झंडा फहरा दिया गया है। मोसुल का आजाद होना आईएस और उसके सरगना अबू बकर अल बगदादी की अभी तक की सबसे बड़ी हार है। तीन साल पहले इस्लामिक स्टेट ने इस शहर पर कब्जा कर लिया था।
अल नूरी मस्जिद पर भी सेना ने किया कब्जा
इससे पहले इराक की सेना ने दावा किया था कि मोसुल की महान मस्जिद अल-नूरी पर भी इराकी फौज ने कब्जा कर लिया है। ये वही मस्जिद है जिसमें अबू बकर अल-बगदादी को आइएस का खलीफा चुना गया था।