किले की तलहटी में सीप और कदवाल नदियों के संगम पर बना श्रीगुप्तेश्वर महादेव मंदिर जन जन की आस्था का केन्द्र बना हुआ है
ग्वालियर/श्योपुर। किले की तलहटी में सीप और कदवाल नदियों के संगम पर बना श्रीगुप्तेश्वर महादेव मंदिर जन जन की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जो बारहोमास जलमग्न रहता है और जहां शिवलिंग के दर्शन नदी का पानी पूरी तरह सूख जाने पर ही भक्तों को संभव हो पाते हैं। मान्यता है कि जंगल के बीच बसा ये मंदिर सभी की मनोकामनाएं पूरी करता है। श्रावण मास के दिनों में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ आती है और अभिषेक आदि के कार्यक्रम पूरे माह चलते रहते हैं।
हजारों साल पुराना है शिवलिंग
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को लेकर लोकोक्ति है कि यह शिवलिंग हजारों साल पुराना है और इसकी स्थापना पांडवों के द्वारा अपने वनवास के दिनों में तब की गई थी, जब वह श्योपुर के जंगलों से घूमते हुए गुजरे और यहां पर पूजा की गई। कहा जाता है कि द्वापर युग के दौरान पांडव जब वनवास पर थे, तब वह श्योपुर के बियावान जंगल में काफी दिनों तक ठहरे थे।
इस दौरान यहां कदवाल नदी क्षेत्र में भगवान शिव की स्थापना करने के दौरान इनके द्वारा पूजन किया गया और इसके बाद ही भगवान का यह मंदिर कदवाल नदी में समा गया और गुप्त रहकर गुप्तेश्वर कहलाया। गुप्तेश्वर मंदिर के सामने ही एक अन्य शिवालय बना हुआ है, जिसमें एक साथ दो शिवलिंग स्थापित है।
भव्य मंदिर बनाने चल रहा निर्माण
जन जन के आस्था के केन्द्र इस शिवालय को और भव्य बनाने के लिए समिति के द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है। समिति द्वारा इसकी जो ड्राइंग कराई गई है, उसमें मंदिर के साथ नदी पर पुल का निर्माण और दूसरे छोर पर पार्क भी शामिल है, जिससे इस केन्द्र की सुंदरता का और अधिक निखरना तय है।