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ग्वालियर

 अनियमिताएं देख आयुक्त ने लगाई फटकार, नौकरी जाने की सुन डीपीओ सीडीपीओ ने कुपोषित बच्चे को उठाया गोद में

उन्होंने आधा दर्जन करीब आंगनबाड़ी केन्द्र व डे -केयर सेंटरों का जायजा लिया और गंदगी आदि मिलने पर अफसरों को खूब फटकारा।

ग्वालियरSep 20, 2016 / 11:06 am

Gaurav Sen

pushplata singh aayukt

pushplata singh aayukt


ग्वालियर। कुपोषण से 40 बच्चों की मौत होने के बाद सोमवार को आयुक्त महिला बाल विकास विभाग पुष्पलता सिंह हालात जायजे को श्योपुर के कराहल क्षेत्र में पहुंची। जहां उन्होंने आधा दर्जन करीब आंगनबाड़ी केन्द्र व डे -केयर सेंटरों का जायजा लिया और गंदगी आदि मिलने पर अफसरों को खूब फटकारा।

मैन्यू अनुसार भोजन न दिए जाने जैसी स्थिति सामने आने पर तो डीपीओ और सीडीपीओ को अगली बार ऐसी स्थिति मिलने पर नौकरी से निकाल देने तक की चेतावनी दे डाली। भोंटूपुरा आंगनबाड़ी केन्द्र पर तो बच्चों को गंदे हाल में देखकर स्वयं का रूमाल देकर डीपीओ सीडीपीओ से बच्चों का मुंह भी साफ कराया। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से गंदी स्थिति में बैठे बच्चों के मुंह धुलवाए और बाल बनवाकर उन्हें तैयार करवाया।


कराहल पहुंची आयुक्त महिला बाल विकास विभाग पुष्पलता सिंह ने सैसईपुरा से अपना दौरा आरंभ किया। सबसे पहले सैसईपुरा का आंगनबाड़ी केन्द्र ही देखा। जिस पर दर्ज संख्या की तुलना में बहुत ही कम बच्चे मिले। इस पर नाराज होते हुए कार्यकर्ता को कड़ी फटकार लगाई और हटाने के निर्देश डीपीओ को जारी किए। यहां के बाद वह विभागीय अफसरों संग ऊंचीखोरी गांव पहुंची और आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन का जायजा लिया। 


यहां पर केन्द्र के पूरी तरह से पैक दिखाई देने पर उसमें खिड़की रोशनदान लगाए जाने के आदेश अधिकारियों को दिए। इसके बाद कराहल एनआरसी केन्द्र पर पहुंची और यहां पर भर्ती कुपोषित बच्चों की माताओं से मुलाकात की। साथ ही जाना कि बच्चे कैसे कुपोषित हुए। उनसे स्थिति जानने के बाद सभी बच्चों की माताओं को समझाइश देते हुए कहा कि अभी 14 दिन के बाद जब बच्चों को यहां से लेकर जाएं, तब बच्चों का ठीक से ख्याल रखें।



डीपीओ-सीडीपीओ को फटकार पड़ी तो संयुक्त संचालक ने गोद में उठा लिया कुपोषित बालक

यहां के बाद आयुक्त पुष्पलता सिंह भोंटूपुरा गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र पर पहुंची। जहां पर बच्चे तो थे, मगर बेहद गंदे हाल में। जिन्हें देखकर वह एकदम से नाराज हो गईं। यहां बच्चों की बहती नाक देखकर तो आयुक्त इतनी नाराज हो गईं कि उन्होंने स्वयं का रूमाल डीपीओ को देकर कहा कि जाओ बच्चों की नाक साफ करो। 



जिसके बाद डीपीओ-सीडीपीओ बच्चों को हैंडपंप पर लेकर गए और उनकी नाक आदि साफ करके लाए। केन्द्र पर मौजूद कार्यकर्ता से फिर आयुक्त ने सभी बच्चों के बाल बनवाए। इसके बाद कहा कि अब देखो। बच्चे कैसे लग रहे हैं, आगे से बच्चों को ऐसे ही रखो। इसके बाद पारोन और कलमी के आंगनबाड़ी केन्द्रों को देखा और बच्चों की वजन ग्रोथ जांची। इसके बाद ककरधा पहुंची। 


जहां पर उनके पहुंचते वक्त ही मध्याह्न भोजन आ गया। जिसमें सब्जी नहीं थी, महज दाल थी। इसे चखकर देखा और फिर मैन्यू अनुसार नहीं होने पर डीपीओ और सीडीपीओ से मुखातिब होकर कहा कि बच्चों की सब्जी कहां गई। अगर आगे से बच्चों को मैन्यू अनुसार भोजन नहीं कराया, बच्चों की सब्जी आदि गायब हुई। 


तो फिर तुम पर (डीपीओ-सीडीपीओ) कार्रवाई होगी। उन्होंने डीपीओ से कहा कि ये जो तुम तिलक लगाते हो न, इससे कुछ नहीं होता। आगे से बच्चों को मैन्यू अनुसार खाना खिलाओ। अब कोई गुंजाइश नहीं बची है।यह आखरी दफा है, समझ जाओ।अन्यथा अगली बार नौकरी गंवाना पड़ जाएगी।


कपड़े दान कराओ और बच्चों को रखो साफ
हर मामले में शासन की मदद पर निर्भर मत रहो। बल्कि स्वयं के स्तर से भी कुछ प्रयास करो। जो बच्चे केन्द्रों पर गंदे कपड़ों से आएं उन्हें साफ कराने के लिए परिजनों को समझाओ और अगर बच्चों के कपड़े फटे हैं, तो जो कार्यकर्ताएं सिलना जानती हैं, उन्हें मशीन दिलाओ और बच्चों को सिलकर अच्छे से कपड़े पहनाओ। इसके लिए पुराने कपड़े दान लेकर उन्हें ठीक से तैयार कर बच्चों को पहनाकर स्वस्थ बनाए रखने का अभियान भी चलाया जा सकता है।


कार्यकर्ता को याद दिलाए दायित्व
जो बच्चे गंदे आएं उन्हें मां की तरह दुलार दो और नहला-धुलाकर तैयार करो।
बाद में हाथ धुलाकर खुद बैठकर बच्चों को ठीक से तीन नहीं चार दफा भोजन कराओ।
खुद करके आगे से बच्चे ऐसा स्वयं करें, इस बात के संस्कार भी उनमें डालो।
बच्चे पोषित हों उनका वजन उचित हो, यह आंगनबाड़ी की मूल जिम्मेदारी है।
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