ग्वालियर। अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में छह माह में 260 मरीजों की मौत हुई है। कारण लचर व्यवस्था, खराब उपकरण हैं। मौत का यह आंकड़ा सड़क हादसे में शिकार होकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का है।
समय पर वेंटिलेटर न मिलने के कारण मौत का यह ग्राफ बढ़ रहा है। पिछले छह माह में 35 से लेकर 54 मरीज एक माह में अपनी जान गंवा चुके हैं। हर दूसरे दिन दो लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। ट्रॉमा सेंटर में 12 वेंटिलेटर हैं, उनमें से महज दो ही चालू स्थिति में हैं। शेष पर अस्पताल प्रबंधन ने नोट वर्किंग की स्लिप लगाकर एक साइड रख दिया है।
ट्रॉमा सेंटर में बदइंतजामी का आलम यह है कि मरीजों को जुगाड़ के वेंटिलेटर से जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है। एेसा नहीं है कि अस्पताल प्रबंधन को वेंटिलेटर खराब होने की जानकारी नहीं है, बावजूद इसके वेंटिलेटर अब तक दुरुस्त नहीं हो सके हैं।
ट्रॉमा सेंटर में जनवरी से जून तक हादसे के शिकार करीब 3306 लोग पहुंचे। इनमें सिर में चोट के 1661 मरीज शामिल थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लचर व्यवस्था के चलते 260 ने दम तोड़ दिया। एेसा नहीं है कि यहां डॉक्टर अच्छे नहीं है। यहां देश के बेहतरीन डॉक्टर काम कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल की व्यवस्था और प्रशासन पर इन आंकड़ों ने प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
260 मौत हुई
माह मरीज मौत
जनवरी 487 45
फरवरी 453 35
मार्च 599 32
अप्रैल 625 43
मई 576 51
जून 564 54
एक सच यह भी
3306 हादसे के शिकार कुल मरीज पहुंचे
1661 सिर की चोट के मरीज
54 मरीज एक माह में गंवा चुके जान
जो वेंटिलेटर दुरुस्त हो सकते हैं उन्हें ठीक कराया जा रहा है। वहीं, दस नए वेंटिलेटर आ चुके हैं।
डॉ.जेएस सिकरवार, अधीक्षक, जेएएच
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