ग्वालियर/शिवपुरी। भगवान बोलेनाथ की नगरी में प्राचीन पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध भदैया कुंड के प्राकृतिक झरने के नीचे प्राचीन शिव मंदिर है। जिसके आसपास गोमुख हैं, जिनमें से लगातार पानी का प्रवाह होता रहता है। इस मंदिर का निर्माण प्राकृतिक झरने की पवित्रता व सुरक्षा के मद्देनजर कराया गया। सिंधिया छत्री ट्रस्ट ऑफिसर अशोक मोहिते ने बताया कि सन् 1828 से लेकर 1835 तक बैजाबाई सिंधिया (ग्वालियर स्टेट) का कार्यकाल रहा।
उस समय शिवपुरी की जगह नरवर जिला हुआ करता था और बैजाबाई जब नरवर से शिवपुरी आती थीं, तो यहां पर प्राकृतिक वातावरण से इतनी अधिक प्रभावित हुईं कि उन्होंने प्राकृतिक झरनों के पास शिव मंदिरों का निर्माण कराया। उसी क्रम में भदैया कुंड झरने के नीचे यह शिवमंदिर बनाया गया। ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद
माधवराव सिंधिया प्रथम ने इन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया।
गोमुख के पानी से बढ़ता है प्रेम
भदैया कुंड झरने के नीचे स्थित शिव मंदिर के पास ही बने गोमुख से निकलने वाले पानी को यदि पति-पत्नी पी ले,तो उनके बीच प्रेम बढ़ता है और कभी झगड़ा नहीं होता। जिसके चलते इस पानी को पीने के लिए अधिकांश वे जोड़े आते थे, जिनकी शादी तय हो जाती थी। इस पानी से सोडा वाटर बनाकर सात समंदर पार पानी के जहाज से भेजा जाता था। सोडा वाटर की बंद फैक्ट्री अभी भी टूरिस्ट विलेज परिसर में मौजूद है।