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ग्वालियर

भरे बाजार में बेची जा रही ज्वलनशील सामग्री, यहां भी हो सकता है हादसा, कई रिहायशी क्षेत्रों में चल रही फैक्ट्री

गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात समाधिया कॉलोनी हारकोटासीर रिहायशी इलाके में प्लास्टिक फैक्ट्री में आग लग गई थी।

ग्वालियरMay 27, 2017 / 02:15 pm

shyamendra parihar

Market full of in-flammables

Market full of in-flammables

ग्वालियर । गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात समाधिया कॉलोनी हारकोटासीर रिहायशी इलाके में प्लास्टिक फैक्ट्री में आग लग गई थी। समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, पर शहर में ऐसी कई फैक्ट्रियां हैं जो रिहायशी इलाकों में संचालित हो रही हैं। इन फैक्ट्रियों में माल भी क्षमता से अधिक भरा हुआ देखा जा सकता है।

वहीं इन फैक्ट्रियों में सुरक्षा व्यवस्था और आगजनी से निपटने के कोई इंतजाम भी नहीं है। अहम बात तो यह है कि इन फैक्ट्रियों में अगर आगजनी की घटना घटित हो जाए तो यहां तक फायर बिग्रेड को पहुंचने में ही काफी समय लग जाएगा। रिहायशी इलाकों में फैक्ट्रियों का ये नजारा शुक्रवार को पत्रिका टीम को देखने को मिला।

पत्रिका टीम द्वारा जब महाराज बाड़े के समीप बने बाजारों में जायजा लिया तो यहां पर कपड़ों के कई गोदाम तलघरों में संचालित होते हुए मिले। कपड़ा कारोबारियों द्वारा तलघरों में गोदाम इसलिए बनाए गए है, जिससे किसी की नजर उनके गोदामों पर न पड़े। इसके अलावा नई सड़क क्षेत्र में धागा बनाने वाली फैक्ट्री संचालित होते हुए मिली यहां पर भी काफी संख्या में धागे के बंडल रखे मिले।


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इसी मार्ग पर ही करीब एक दर्जन से अधिक कोल डिपो मिली, जो कि, मुख्य मार्ग पर ही संचालित है। इन कोल डिपो में भारी मात्रा में जलाऊ लकड़ी और पक्का व कच्चा कोयला रखा मिला। जिसकी बिक्री यहां से खुलेआम की जाती है। इन स्थानों पर बिकने के लिए रखे कच्चे कोयले में अगर आगजनी की घटना घटित हो जाए तो इसे बुझाने के लिए कई घंटों तक मशक्कत करनी पड़ेगी।

315 औद्योगिक यूनिट होनी थी शहर से बाहर
प्रदूषण के चलते 2009 में हाईकोर्ट ने शहर में संचालित 315 यूनिट्स को बाहर करनेे का आदेश दिया था। इसका जिम्मा जिला प्रशासन और नगरीय निकाय को सौंपा गया था, पर तब से लेकर आज तक इनका विस्थापन नहीं हो सका है। आदेश पारित होने के बाद हारकोटासीर स्थित फैक्ट्री में लगी आग का संभवत: सातवां हादसा है।

इसलिए नहीं जाते औद्योगिक क्षेत्र में
कायदे से रिहायशी क्षेत्रों में संचालित इन यूनिट्स को औद्योगिक क्षेत्र में विस्थापित किया जाना चाहिए पर बताया जाता है कि औद्योगिक क्षेत्र में जाने के बाद इन यूनिट्स को सभी तरह के अवैध काम बंद करने पड़ेंगे। इसके साथ ही इन यूनिट्स में कई खामियां हैं जैसे ऐसी यूनिट्स के पास प्रदूषण की एनओसी का न होना, फैक्ट्री एक्ट की जद में आना, साथ ही सरकार को मिलने वाला टैक्स भी इनसे नहीं मिलता है।

यहां चल रहीं फैक्ट्रियां
माधौगंज, दर्जी ओली, दानाओली आदि क्षेत्रों में रेडीमेड कपड़े की करीब 200 यूनिट।
लक्ष्मीगंज, गोल पहाडिय़ा, जागृति नगर आदि जगहों पर आतिशबाजी बनाने की कई फैक्ट्रियां।
समाधिया कॉलोनी के आस-पास चॉकलेट फैक्ट्रियां और दानाओली में प्लास्टिक दाने की फैक्ट्रियां। 

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