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ग्वालियर

प्रदेश में बारिश को लेकर मौसम वैज्ञानिकों की ये भविष्यवाणाी आपके होश उड़ा देगी, तैयार रहें

पिछले हफ्ते मानसून ने हल्की दस्तक दी थी। सावन की शुरुआत में सूखापन किसान को बैचेन करने वाला होगा। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि वर्तमान दौर को मानसून ब्रेक कंडीशन कहा जाना चाहिए, प्रदेश में बारिश का इंतजार लम्बा हो सकता है।

ग्वालियरJul 09, 2017 / 09:46 am

shyamendra parihar

no monsoon

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राजदेव पांडेय @ ग्वालियर

सामान्य तौर पर ग्वालियर में बारिश जून के अंतिम हफ्ते में शुरू हो जाती है। पिछले हफ्ते मानसून ने हल्की दस्तक दी थी। सावन की शुरुआत में सूखापन किसान को बैचेन करने वाला होगा। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि वर्तमान दौर को मानसून ब्रेक कंडीशन कहा जाना चाहिए, प्रदेश में बारिश का इंतजार लम्बा हो सकता है। बारिश की अनुमानित तिथि 12 से 15 जुलाई बता रहे हैं। इस वर्ष उत्तरी मप्र व ग्वालियर-चम्बल संभाग के लिए अभी तक ठीक नहीं रहा है। ग्वालियर-चम्बल संभाग के किसान के लिए वक्त कठिन है। ये सलवटें किसान की पेशानी पर उभरी लकीरों में पढ़ी जा सकती हैं।

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दो साल अकाल से कम नहीं
ग्वालियर जिले में उत्पादन और प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से पिछले दो साल किसी अकाल से कम नहीं रहे। इससे न केवल असल कृषि उत्पादन गिरा बल्कि कृषक को करीब सौ करोड़ से अधिक का कर्जदार बना दिया। जहां तक वर्तमान साल का सवाल है, शुरुआत में मानसून अच्छे आने के संकेत हैं। हालांकि जून से जुलाई के पहले सप्ताह मानसून ने सिर्फ झलक भर दिखाई है। 

“उम्मीद की जा रही है कि 12 से 14 जुलाई के बीच अच्छी बारिश हो सकती है। किसान को कुछ कम पानी वाली फसलों पर ध्यान देना चाहिए। मानसून की अनिश्चितता की वजह लगातार बदल रही भौगोलिक परिस्थितियों में छुपी है।”
अनुपम काश्यपी, मुख्य मौसम विज्ञानी, मध्यप्रदेश





मानसून ट्रेंड खराब होने के बाद अकाल की आशंका कम

बारिश के लिहाज से ग्वालियर ने सबसे बुरा दौर 2002 से 2007 तक देखा,2016 में भी रुलाया

पिछले सौ सालों के इतिहास पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि लगातार तीसरी साल अकाल की नौबत केवल तीन दफा आई है अन्यथा ग्वालियर में तीसरी साल मानसून कभी दगाबाज साबित नहीं हुआ। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि कृषि उत्पादन और मानसून की प्रभावशीलता के लिहाज से साल के चौबीसवें हफ्ते से लेकर 35वें हफ्ते तक का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। लौटते मानसून से मावठ की बरसात साल के उत्तरार्ध में अहम होती है। इस आधार पर विश्लेषण किया जाए तो पिछले साल औसत से अधिक बारिश होने के बावजूद अकाल की नौबत बन गई थी, क्योंकि इन्हीं अहम दिनों में मानसून कमोबेश दगाबाज साबित हुआ। पिछले साल जून में केवल सौ मिलीमीटरी बारिश हुई। 



इसके बाद बीच के समय में ठीक बारिश हुई, लेकिन बारह अगस्त के बाद बारिश पूरी साल नहीं हुई। वर्ष 2014 में केवल 30, 31 और 32 हफ्ते में पूरे साल की सर्वाधिक बारिश हुई, शेष हफ्ते में मानसून नदारद ही रहे। 2015 कुछ ठीक रहा, लेकिन 2016 में मानसून ने हमें सबसे ज्यादा रुलाया।

दो दिन बाद बारिश की अच्छी संभावना

बारिश न होने के कारण इन दिनों बादल छाए हुए हैं लेकिन गर्मी और उमस से लोग बेहाल हैं। सुबह से शाम तक हल्की के साथ बादल बने हुए है। इसके बावजूद भी गर्मी से लोगों को दूर दूर तक निजात नहीं मिलपा रही है। शनिवार को अधिकतम तापमान 36.8 और न्यनूतम तापमान 26.3 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिक सुनील कुमार गोधा ने बताया कि अगले चौबीस घंटे में बादल ही छाए रहेंगे। शहर के लोगों को अच्छी बारिश के लिए इंतजार करना होगा। हल्की बारिश होने की तो संभावना है, लेकिन अच्छी बारिश दो दिन बाद भी होने की संभावना है।
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