कुलसचिव जी आप बाहर जाइए
ग्वालियरPublished: Sep 27, 2016 12:18:00 am
जीवाजी यूनिवर्सिटी (जेयू) में सोमवार को कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला की
अध्यक्षता में हुई कार्यपरिषद की बैठक हंगामे दार तो रही, लेकिन निजी हित
हावी होने और छात्र हित के मुद्दे गायब होने से फ्लॉप शो साबित हुई।
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ग्वालियर. जीवाजी यूनिवर्सिटी (जेयू) में सोमवार को कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला की अध्यक्षता में हुई कार्यपरिषद की बैठक हंगामे दार तो रही, लेकिन निजी हित हावी होने और छात्र हित के मुद्दे गायब होने से फ्लॉप शो साबित हुई। बीते दिनों कुछ ईसी मेम्बर्स द्वारा स्थाई रजिस्ट्रार के मुद्दे को जिस तरह उठाया, वे बैठक में खानापूर्ति करते दिखे। करीब 15 मिनिट बहस के बाद कुलपति द्वारा आगामी ईसी में मामला रखने के आश्वासन पर सभी ने शांति की चादर ओढ़ ली।
सूत्रों की मानें तो 19 जुलाई को हुई ईसी बैठक में जिस तरह से स्थाई रजिस्ट्रार का मामला ईसी मेम्बर्स ने उठाया, उसे सुनियोजित गेम बताया जा रहा है।
बैठक की शुरुआत में ईसी मेम्बर हुकुम सिंह यादव और ऋषभ जैन ने कुलसचिव डॉ. आनंद मिश्रा को बैठक से बाहर जाने को कहा तो दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हो गई। बाद में कुलसचिव अपनी सीट से उठकर कक्ष की एक कुर्सी पर बैठ गए। इसके ईसी मेम्बर ने कुलपति से कहा कि 19 जुलाई को स्थाई कुलसचिव के मुद्दे पर चर्चा हुई थी, वह एजेंडे में शामिल क्यों नहीं है। जवाब में कुलपति ने कहा, यह मुद्दा एजेंडे के मिनिट्स में शामिल है। इस पर ऋषभ जैन ने कहा, मुद्दा शामिल है तो किसी को दिखाई क्यों नहीं दिया। कुलपति ने इस मामले को आगामी बैठक में रखने की बात कही, जिसके बाद सभी शांत हो गए। ईसी में डीपी सिंह को जेयू का अधिवक्ता बनाया गया है।
कार्यकाल बढ़ाते समय क्यों नहीं की आपत्ति
बैठक में स्थाई रजिस्ट्रार के मुद्दे पर ईसी मेम्बर प्रो. एके सिंह और एडवोकेट डीपी सिंह की बहस हुई। प्रो. सिंह का कहना था कि यह मामला शासन का है, किसे रजिस्ट्रार बनाया जाए किसे नहीं। इस पर सिंह का कहना था कि जब आपको इतना पता है तो 19 जुलाई की ईसी में यह मुद्दा उठाया गया तब आपने आपत्ति क्यों नहीं की। इसके साथ ही कुलसचिव डॉ. आनंद मिश्रा और ऋषभ जैन में भी काफी बहस हुई।
अंदर बैठक, बाहर हंगामा : जेयू में अंदर कार्यपरिषद की बैठक चल रही थी, वहीं कुलपति सचिवालय के बाहर अभाविप कार्यकर्ता अंकित राय कुछ छात्रों के साथ धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी कि जेयू प्रबंधन छात्रों की समस्याओं को दरकिनार कर रहा है। छात्र अपनी समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराने जाते हैं, वे अपनी केबिन में नहीं होते हैं।