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नहर पाट कर कटेंगे प्लॉट

locationजयपुरPublished: Dec 13, 2015 01:37:00 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

वनभूमि में स्थित पहाडि़यों व प्राचीन नहरों पर सीमेंट-कंक्रीट का जाल फैल रहा है।

वनभूमि में स्थित पहाडि़यों व प्राचीन नहरों पर सीमेंट-कंक्रीट का जाल फैल रहा है। वनक्षेत्र में सरे आम पहाडि़यों का सफाया होने के बावजूद जिला प्रशासन व वनविभाग दोनों ही चुप्पी साधे हैं। जंगल, तालाब, पहाड़, नालों व गोचर भूमि पर अतिक्रमण के बाद भू माफिया की नजरें अब प्राचीन नहरों पर है।

इससे शहर के पर्यावरण का विनाश तो हो ही रहा है, साथ ही अंदेशा सताने लगा है कि कुछ वर्ष बाद जोधपुर के हालात भी दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे ना हो जाएं।

भूतेश्वर वन क्षेत्र की पहाडि़यों से होकर वर्षाजल भंडलाव, सिवांचीगेट कब्रिस्तान के पीछे, सिवांचीगेट चौराहा, जालोरी बारी होकर बाईजी तालाब पहुंचता था। अब इसी नहर को कई जगह क्षतिग्रस्त कर मलबा डालकर खत्म किया जा रहा है।

नहर के बहाव क्षेत्र में कई लोग अस्थाई मकान बनाकर रहने लगे हैं। कुछ लोगों ने नई समाधियां व मंदिर बना दिए हैं। जिला प्रशासन की ओर से अतिक्रमियों को बिजली, सड़क व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं।

लाइफ लाइन रही हैं नहरें
मारवाड़ के पूर्व शासक तख्तसिंह के कार्यकाल में जोधपुर में निर्मित प्रमुख जलाशयों की ऐतिहासिक नहरें शहर की लाइफ लाइन रही हैं। लेकिन शहर में हिमालय का पानी आने के बाद प्राचीन नहरें लगातार उपेक्षा की शिकार होती चली गई।

canal

जोधपुर के जिन शासकों ने दूरदर्शिता और सूझबूझ ने बारिश के पानी की आवक के लिए शहर के चारों तरफ नहरों का निर्माण किया गया था। इनमें उम्मेद सागर, कायलाना, तख्तसागर, बालसमंद, कालीबेरी, गोलासनी, केरू, बेरीगंगा, हाथी नहर, बाईजी तालाब, गुलाब सागर, फतेह सागर, गंगलाव तालाब की नहरों का तो वजूद ही खत्म हो चुका है।

यहां भी नहरें अतिक्रमण की चपेट में
कायलाना सर्किल के सामने माचिया वन खंड के गेंवा बागा में स्थित अभय सागर तालाब से होकर अखेराज का तालाब, गुरों का तालाब, चांदणा भाखर, सूथला गांव होते हुए उम्मेद सागर पहुंचने वाली नहरों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है।

फतेहसागर की मुख्य नहर, कागा की पहाडिय़ां भी अंधाधुंध अतिक्रमण की चपेट में है। जलग्रहण और बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण गैर कानूनी होने के बावजूद यह अपराध तेजी से बढ़ रहा है।

तालाब भी खत्म होने के कगार पर
शहर के बाईजी का तालाब, गंगलाव तालाब, मानसागर, रातानाडा और सूरसागर तालाब के बाद भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि कायलाना रोड स्थित प्राचीन राम सागर (अखेराजजी का तालाब) पर है। पुराने महल और कलात्मक छतरियों से सजे तालाब के एेतिहासिक स्वरूप को मलबे से पाटकर खत्म किया जा रहा है। चांदपोल के बाहर गोरधन तालाब को भरने की तैयारी है।

इतिहास बन गए तालाब
राव मालदेव की ओर से नई सड़क हनुमान भाखरी क्षेत्र में निर्मित मालासर तालाब, चांदपोल के बाहर अभयसिंह निर्मित अभयसागर, वर्तमान नेहरू उद्यान में बगतसिंह की ओर से निर्मित बगत सागर, महामंदिर में मानसिंह निर्मित मानसागर सहित भदवासिया तालाब, देरावर तालाब, नाग तालाब, रावटी तालाब, रिक्तियां भैरु तालाब, कालीबेरी तालाब, रातानाडा तालाब, अरणाजी तालाब, फिदूसर तालाब, मसूरिया तालाब, जगत सागर अब इतिहास की किताबों में बचे है।

इनका कहना है
शहर की प्राचीन नहरें हमारी धरोहर व संस्कृति हैं। इनसे यदि छेड़छाड़ की गई, तो पानी का बहाव बदलेगा और शहर को नुकसान उठाना पड़ेगा। जिला प्रशासन व वनविभाग को शहर की प्राचीन विरासत को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
-डॉ. शिवसिंह राठौड़ -भू गर्भ वैज्ञानिक अतिक्रमण हटाया जाएगा

भूतेश्वर नहर के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नहर पर किसी भी तरह के अतिक्रमण को हटाया जाएगा।
-हरिसिंह राठौड़, आयुक्त नगर निगम जोधपुर।

शहर के एेतिहासिक जलाशयों में पानी की आवक के लिए बनी नहर प्रणाली कभी शहर की लाइफ लाइन रही है। भूतनाथ नहर के उद्गम स्थल से प्रतापनगर श्मशान रोड तक नहर में मलबा डाला जा चुका है। नहर को मलबे से भर कर बराबर करने से रोकने लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
-रामजी व्यास, अध्यक्ष आध्यात्मिक क्षेत्र पर्यावरण विकास संस्था जोधपुर





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