हंडिया। हरदा जिले में पुण्य सलिला मां नर्मदा के नाभिस्थल के दक्षिण तट पर बसा है ऐतिहासिक ऋद्धनाथ महादेव मंदिर। यह हजारों साल पुराना है। मंदिर के पुजारी पं. गोकुल प्रसाद व्यास की वंशावली एवं होशंगाबाद गजेटियर के अनुसार लंकापति रावण द्वारा जब कुबेर से अलकापुरी का राज छीन लिया गया था। तब कुबेर ने नर्मदा के इस दक्षिण तट पर बैठ कर भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर कुबेर से कहा कि यहां तुम मेरी ऋद्धनाथ के रूप में स्थापना करो। तुम्हें अल्कापुरी का राज पुन: प्राप्त होगा। तब कुबेेर ने यहां मंदिर बनवाकर ऋद्धनाथ महादेव की स्थापना की। नाभिस्थल पर नर्मदा के उत्तर तट पर सिद्धनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है।
मंदिर के बरामदे में सामने से प्रवेश द्वार नहीं बताया जाता है कि आमतौर पर शिवालयों में मुख्य द्वार से प्रवेश रहता है, लेकिन इस मंदिर में मुख्य द्वार पर नंदी विराजमान हैं। प्रवेश के लिए यहां उत्तर व दक्षिण से स्थान है। 1623 ईसवीं मे ऋद्धनाथ महादेव मंदिर के सामाने वाले सभा मंडप की मरम्मत होना बताया जाता है।
श्रावन मास में अभिषेक के लिए लगता है नंबर श्रावण मास के दौरान यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्तों द्वारा अभिषेक किया जाता है। पुजारी द्वारा सभी को समय देकर अभिषेक पूजन कराया जाता है। प्रत्येक सोमवार को भगवान ऋद्धनाथ का आकर्षक शृंगार किया जाता है। शिव रात्रि एवं श्रावण मास के अंतिम सोमवार को ग्राम देवता भगवान ऋद्धनाथ नगर का हाल जानने नगर भम्रण पर निकलते हंै। इस शोभायात्रा मे हजारों लोग शामिल होते हैं।
वर्षभर सुबह 5 बजे होता है अभिषेक ऋद्धनाथ महादेव मंदिर में पांच पंडितों एवं स्थानीय लोगों द्वारा प्रतिदिन सुबह 5 बजे अभिषेक किया जाता है। यह वर्षभर किया जाता है। भक्तों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर पर्यटन विकास निगम ने यहां कई तरह के निर्माण कार्य कराए। इससे तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलने लगी।
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