scriptअब तो आंखे भी पथरा गईंअर्जुनपुर पुल बनवा दो भाई!   | People waiting for Arjunpur Ganga Ghat Bridge Construction from 40 Years | Patrika News

अब तो आंखे भी पथरा गईंअर्जुनपुर पुल बनवा दो भाई!  

locationहरदोईPublished: Jul 16, 2017 11:15:00 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

वादों के 40 साल फिर भी नहीं पुरसाहाल।  

Hardoi

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हरदोई। कटरी क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित अर्जुनपुर गंगा घाट पर पुल की चुनावों के दौरान सियासी बबंडर बन कर प्रत्याशियों के बीच आती रही मगर पुल के निर्माण को वादे भी इस पुल का निर्माण न करा सके है। 40 साल से चले आ रहे इस वादे के पूरा न होने को लेकर लोग अब कहने भी लगे हैं कि इंतजार में आंखे पथरा गई हैं, अब तो पुल बनबा दो भाई। सियासी रंगों में डूब रहे अर्जुनपुर घाट पर पुल की आस तो बहुतों ने बंधबाई मगर वहां पर पुल आज तक न बन सका। हांलाकि भाजपा विधायक माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू दावा करते हैं कि 6 माह के भीतर पुल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। 

अर्जुनपुर पुल को लेकर खास बातें 
-वर्ष 1975 में अर्जुनपुर गंगाघाट पर हुई नाव दुर्घटना में मारे गए करीब 90 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए व पुल निर्माण की मांग को लेकर हर वर्ष क्षेत्र के लोग वहां हवन पूजन करते हैं। 
-1990 के दशक में क्षेत्र के विकास के लिए आवाज बनने वाले स्व: बाबू विश्राम सिंह यादव जब पहली बार विधायक बने तो उन्होंने सपा सरकार में कई छोटे बड़े पुल स्वीकृत कराए। अर्जुनपुर घाट पर पैंटून पुल बन गया जो कि मानसून दस्तक के बाद उखाड़ लिया जाता है और फिर वर्षा ऋतु समाप्त के बाद पुन: बना दिया जाता है। 
-वर्ष 2002 व 2007 के विधानसभा चुनाव में पुल मुद्दा बना और मगर पुल न बन सका । 
-वर्ष 2011 में पैटून पुल में हुई ट्रैक्टर ट्राली दुर्घटना में मामला फिर गर्मा गया ।
-वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी के साथ सपा के प्रमुख नेताओं ने पुल निर्माण का वादा किया।
-वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में पुल का मुद्दा फिर गर्म हुआ तो तत्कालीन सपा संासद व प्रत्याशी ऊषा वर्मा ने उक्त पुल को लेकर सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री एवं पीडब्लूडी मंत्री से पुल बनवाने का वादा लिया। 
-लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी अंशुल वर्मा ने पुल बनवाने का वादा किया था मगर उन्हें सांसद बने 3 साल हो गए और अब तक पुल की आधार शिला तक न रखी जा सकी। 
-मई 2015 में वादों के पूरा न होने से क्षुब्ध क्षेत्रीय प्रधान संघ की अध्यक्ष रही समाजसेवी सीमा मिश्रा ने वट पूजा पर्व के दिन पुल के निर्माण होने तक श्रंगार सामग्री का त्याग रखने का संकल्प लेकर जिले में सियासी हलचल मचा दी थी। 
-2016 में अर्जुनपुर पुल की मांग को लेकर मुखर पंचनंद विकास संघर्ष समिति के संयोजक अवनीकांत बाजपेयी ने सीमा मिश्रा के त्याग पूरे क्षेत्र का त्याग बताते हुए ऐलान किया था कि अगर सरकार पुल बनवाने के लिए स्पष्ठ रूप से मना कर दे वो पुल की लागत का पैसा चंदा करने के लिए गली गली गांव गांव घूम घूम कर सहयोग मांगने को तैयार है । 
-2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी माधवेन्द्र प्रताप ने पुल बनवाने वादा करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार बनते ही वह इस ओर काम कराएंगे । 
दो वर्ष पूर्व सावित्री वट अमावस्या के दिन अर्जुनपुर घाट पर सीमा मिश्रा ने त्यागा था श्रृंगार 
हरदोई। वर्षो से अर्जुनपुर घाट पर पुल बनाए जाने की मांग पूरी न होने एवं वादा खिलाफी के विरोध में दो वर्ष पूर्व सावित्री वट अमावस्या के दिन कटियारी क्षेत्र की पूर्व महिला प्रधान संघ अध्यक्ष एवं सरस्वती सदन की पुस्तकालय अध्यक्ष सीमा मिश्रा ने जन जेतना और सरकार को जगाने के लिए अर्जुनपुर गंगा घाट पर श्रंगार सामग्री का त्याग कर दिया था । उनका संकल्प है कि जब तक पुल का निर्माण नहीं होता वे श्रंगार नहीं करेगी । उनके पति महेश मिश्रा सामाजिक कार्यकर्ता है। महेश मिश्रा व पंचनद संयोजक अवनीकांत बाजपेयी, लोक गायक अरविंद मिश्रा, संजीव पाण्डेय सहित ग्रामीण इस पुल के निर्माण को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। 
 
हवन पूजन और बहुत किए जतन पर नहीं बन सका पुल 
क्षेत्र के लोगों के अनुसार कार्तिकी पूर्णिमा सन 1975 में बडागांव अर्जुनपुर रामगंगा घाट पर नाव पर सवार करीब 90 लोग डूब गए थे। तब से लगातार इस स्थान पर पुल बनाए जाने की मांग होती रही। हर चुनाव और कमोवेश सभी प्रत्याशियों के लिए यह पुल निर्माण मुद्दा बनता रहा है मगर पुल का निर्माण आज तक न हो सका। साल दर साल पुल की आस में गुजरते जा रहे है तमाम क्षेत्रीय लोगों ने आंदोलन, हवन, किए मगर पुल न बन सका। पिछले विधान सभा चुनाव में यह पुल का मुद्दा जोर से उठा था तथा सपा नेताओं ने वायदा भी किया था मगर सपा के सत्ता में आने के बाद भी पुल न बन सका। गत लोक सभा चुनाव से पहले तत्कालीन सांसद ऊषा वर्मा ने अर्जुनपुर और बेडीजोर पुलों के लिए भरकस प्रयास किए। बेडीजोर पुल बन गया मगर अर्जुनपुर की आस पूरी न हो सकी। जिसके बाद 18 मई 2015 को वट अमावस्या के दिन सीमा मिश्रा ने पुल के निर्माण की मांग को लेकर शंखनाद करते हुए कहा था कि जब तक इस पुल का निर्माण नहीं होगा तब तक वे श्रंगार की सामग्री में बिछिया को छोड़ कर सभी का त्याग कर दिया था। सीमा मिश्रा ने मंगलसूत्र, चूडियां, श्रंृगार के सभी आभूषणों का त्याग कर जिले में हलचल मचा दी थी। उस वक्त सत्ता पक्ष के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने सीमा मिश्रा के रोष को लेकर धैर्य रखने की बात कहते हुए कहा था कि पुल का निर्माण होगा मगर पुल निर्माण न हो सका। विधानसभा चुनाव में भी यह मामला तेजी से उठा और लोगोंं से वादा किया गया था पुल का निर्माण कराया जाएगा। 

योगी सरकार के बजट से जगी है आस 
विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी माधवेन्द्र प्रताप सिंह ने पुल बनवाने का वादा किया था वे विधायक बन चुके है और लगातार पुल के लिए प्रयासरत है। अपने वादे के अनुसार भाजपा सांसद अंशुल वर्मा भी प्रयासरत हंै। अब केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। जनहित में पुल का निर्माण अंविलंब कराकर जनप्रतिनिधियों को अपने वादे को पूरा किया जाना चाहिए। 
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