scriptवैष्णोदेवी की यात्रा में न करें घोड़ों की सवारी! | Do not ride horses during Vaishno Devi Yatra to avoid dangerous disease | Patrika News

वैष्णोदेवी की यात्रा में न करें घोड़ों की सवारी!

Published: Oct 13, 2015 01:15:00 pm

वैष्णोदेवी की
यात्रा के काम आने वाले घोड़ों, खच्चरों में फैली ग्लैंडर्स नामक बीमारी, हो सकती है संक्रमित लोगों की मौत भी, बहती है नाक, सुकड़ते हैं फेंफड़े व शरीर पर बनती-फटती है गांठें

Maa Vaishno Devi

Maa Vaishno Devi

नवरात्र के मौके पर अगर आप वैष्णोदेवी की यात्रा कर रहे हैं तो घोड़े-खच्चर की सवारी करने से बचें। घोड़ों में फैलने वाली संक्रमित बीमारी ग्लैंडर्स ने विकराल रूप ले लिया है। खतरनाक बात यह है कि यह बीमारी घोड़ों से मनुष्य में भी संचरित होती है। यह कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसकी चपेट में आए घोड़ों और खच्चर को मारना ही एकमात्र उपाय होता है। इनके इलाज की अनुमति तक नहीं है। मनुष्य को होने पर निमोनिया या फिर चमड़ी पर गांठें बनती हैं और यह गांठे फट जाती है। समय से अगर इसका पता न चले तो मौत हो जाती है। यात्रा के दौरान आपको बस घोड़ों और खच्चर से दूर रहना है।

ऐसे पहचानें संक्रमित घोड़ा-खच्चर

अगर आपको किसी घोड़े की नाक से लगातार पानी गिरना, कोई फुंसी-दाना दिखना या फिर शरीर पर कटे-फटे होना नजर आता है तो कतई उसकी सवारी न करें। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.संदीप खुराना बताते हैं कि दो महीने पहले इसकी शुरूआत हुई थी और अब तक 10 घोड़ों और इतने ही खच्चर को मारा जा चुका है। करीब 20 मामले और पॉजिटिव पाए गए है। नवरात्रि को देखते हुए वैज्ञानिक की एक टीम ने जम्मू के कटरा स्टेशन पर ही डेरा डाल दिया है।

विश्वयुद्ध में हथियार बनी थी यह बीमारी

जर्मनी के एजेंटस ने रूस के घोड़ों में इसे फैलाया था। इसके लिए पानी में इस बीमारी के कीटाणु मिला दिए गए थे। इसके कारण बड़े पैमाने पर रूस में घोड़ों की मौत हुई थी और मनुष्य भी इसके शिकार हुए थे। इसका प्रयोग दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने भी युद्धबंदियों के लिए किया था। फिलहाल यह बीमारी यूरोप से साफ हो चुकी है लेकिन एशियाई देशों में अभी भी यह पाई जा रही है।

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