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स्टील नहीं, लोहे के बर्तन में खाना खाने से मिलेगा आयरन

Published: Oct 12, 2015 04:07:00 pm

लोहे की कढ़ाई में खाना बनाने से उसमें
मौजूद लौह अंश भोजन में मिल जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है

ironware

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गलत खानपान और खराब जीवनशैली से शरीर में पोषक तत्वों व आयरन की कमी आम बात है। कंबोडिया में आयरन फिश की तरकीब से बड़ी संख्या में लोगों को फायदा हुआ है। वहां लोग खाना बनाते समय मछली के आकार के लोहे के टुकड़े को भोजन में डाल देते हैं। नौ माह तक रोजाना इस तरह से तैयार भोजन से वहां के लोगों में 50 फीसदी आयरन की कमी दूर होने के परिणाम सामने आए हैं। हमारे यहां पुराने समय से लोहे की कढ़ाई आदि बर्तनों में खाना बनाने की परंपरा रही है। वैद्य भानुप्रकाश शर्मा बता रहे हैं लोहे के बर्तन के फायदों के बारे में-

लोहे के बर्तन बेहतर
लोहे की कढ़ाई में खाना बनाने से उसमें मौजूद लौह अंश भोजन में मिल जाते हैं। यदि कढ़ाई में सब्जी को थोड़ी देर पड़ा रहने दिया जाए तो उसका रंग हल्का काला हो जाता है जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है। लगभग सभी हरी सब्जियां आयरन युक्त होती हैं। लोहे की कढ़ाई में बनाने पर लौह तत्व में वृद्धि होकर अधिक फायदेमंद हो जाती हैं।

बर्तन में जंग लगने पर
जंग की हल्की परत आने पर बर्तन को हल्का सा पोंछकर प्रयोग करना चाहिए। इससे जंग के हल्के अंश भोजन के साथ मिलकर शरीर में पहुंचते हैं जो रक्तवृद्धि करने में मददगार होते हैं। लेकिन मोटी परत होने पर बर्तन को अच्छे से धोकर ही प्रयोग करें।

दूध ज्यादा देर न रखें
लोहे के बर्तन में दूध उबाला जा सकता है लेकिन अधिक देर बर्तन में नहीं छोड़ना चाहिए। दूध प्रोटीनयुक्त होता है। उसमें आयरन नहीं होता इसलिए ये बर्तन से मिलने वाले आयरन को अवशोषित नहीं कर पाता। इससे बैक्टीरिया पनपने का खतरा रहता है।

सामान्य स्थिति
शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा उम्र के हिसाब से अलग-अलग होती है। सामान्यत: इसकी मात्रा पुरूषों में 14-17 ग्राम प्रति डेसीलीटर व महिलाओं में 12-16 ग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच होनी चाहिए। इससे ऊपर के स्तर पर ज्यादा आयरन न लें वर्ना ब्लड कैंसर का खतरा हो सकता है।
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