आज गुरु पूर्णिमा इन कामों के लिए है सर्वश्रेष्ठ, आप भी उठाएं लाभ
Published: Jul 09, 2017 10:48:00 am
पूर्णिमा तिथि प्रात: 9.37 तक, उसके बाद श्रावण मास, कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाएगी
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पूर्णिमा तिथि प्रात: 9.37 तक, उसके बाद श्रावण मास, कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि में यथा आवश्यक सभी शुभ व मांगलिक कार्य, अलंकार, चित्रकारी, प्रतिष्ठा, वास्तु (घर), यज्ञ कर्म व युद्ध सम्बंधी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
शुभ वि.सं. : 2074, संवत्सर: साधारण, अयन: दक्षिणायन, शाके: 1939, हिजरी: 1438, मु.मास: सव्वाल-14, ऋतु: वर्षा, मास: आषाढ़, पक्ष: शुक्ल।
नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं 4.48 तक, इसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बावरी, कुआं, कृषि, विग्रह, कठिन व साहसिक कार्य, पेड़ काटना आदि सभी कार्य प्रशस्त हैं। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवस्थापन, विभूषित करना, गृहारम्भ, यात्रा, प्रवेश, मांगलिक विवाह, रत्नालंकार और मित्रता आदि से सम्बंधित कार्य करने चाहिए।
विशिष्ट योग: राजयोग सूर्योदय से प्रात: 9.37 तक तथा सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग सायं 4.48 से अगले दिन सूर्योदय तक है। राजयोग में सभी धार्मिक व मांगलिक कार्य शुभ रहते हैं।
चंद्रमा : रात्रि 11.25 तक धनु राशि में, उसके बाद मकर राशि में रहेगा।
वारकृत्य कार्य : रविवार को सामान्य रूप से सभी स्थिर संज्ञक कार्य, यानयात्रा, ललित कला सीखना, राज्याभिषेक, धातु कार्य, पशु क्रय, औषध निर्माण, यज्ञादि-मंत्रोपदेश आदि कार्य शुभ कहे गए हैं।
दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर चन्द्र स्थिति के अनुसार पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए
प्रात: 7.25 से दोपहर 12.32 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद 2.14 से अपराह्न 3.56 तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर 12.04 से दोपहर 12.59 तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल
सायं 4.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।