हरदा। 21 अप्रैल से शुरू हो रहे विवाह मुहुर्त 12 जून तक रहेंगे। इसके बाद सात महीने शहनाई नहीं गूंजेगी। इसका कारण 17 जून से अधिक मास शुरू होना तथा 1 जुलाई से सिंह राशि में गुरू का विचरण करना है। नए साल में 16 जनवरी से शादी-ब्याह दोबारा शुरू होंगे।
हालांकि यह दौर भी एक महीने चलेगा। इसके बाद दोबारा ब्रेक लगेगा। ज्योतिष पं. मुरलीधर व्यास ने बताया इस वर्ष अगस्त में नासिक में महाकुंभ भराएगा। इस अवधि में सिंह राशि में गुरू के साथ ही सूर्य भी विद्यमान रहेंगे। इसी दौरान नासिक महाकुंभ लगेगा। गंगा के दक्षिण तथा गोदावरी के उत्तर दिशा के मध्य जो क्षेत्र आता है वहां सिंहस्थ दोष माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस अवधि में विवाह वर्जित रहते हैं। इन क्षेत्रों में केवल मेष राशि के सूर्य में विवाह हो सकता है। इस बीच गुरू का अतिचारवश कन्या राशि में भ्रमण होगा।
इससे अगले साल 16 जनवरी से 17 फरवरी तक क्षेत्र में विवाह आयोजन हो सकेंगे। फिर मेष के सूर्य में रहने के दौरान 15 अप्रैल से 25 अप्रैल के मध्य विवाह होंगे। 25 अप्रैल को तारा अस्त होने के कारण मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। इसके बाद सिंहस्थ दोष रहेगा। यानी नवंबर 2016 में ही शादी-ब्याह हो सकेंगे। पं. व्यास ने बताया अगले साल 14 अप्रैल से उज्जैन में सिंहस्थ रहेगा। सिंह राशि के गुरू में मेष राशि का सूर्य आने पर सिंहस्थ लगता है। यह अवधि भी विवाह समारोह के लिए नहीं रहेगी।
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