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आखा तीज पर 5 ग्रहों के राशि परिवर्तन से बनेगा अद्भुत संयोग

Published: Apr 15, 2015 12:36:00 pm

 इस बार अक्षय तृतीया ग्रहों के उच्च राशियों में गोचर करने व दो प्रमुख ग्रहों के नक्षत्र के कारण भी विशिष्ट व अद्भुत संयोग लेकर आ रही है

Weekly horoscope prediction

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अक्षय तृतीया अपने आप में ही सर्वश्रेष्ठ तिथि व पर्व के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया ग्रहों के उच्च राशियों में गोचर करने व दो प्रमुख ग्रहों के नक्षत्र के कारण भी विशिष्ट व अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। इसलिए यह दिन पुण्यकारी माना जा रहा है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक एेसा संयोग भगवान के अवतार के समय ही बनता है। एेसे संयोग में किया गया हर कार्य सफलता को प्राप्त करता है।

21 अप्रैल को अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया 21 अप्रैल को वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाएगी। इस दिन दोपहर को 2 बजकर 24 मिनट तक कृतिका नक्षत्र रहेगा। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र होगा। पंडित शांतनु महाराज ने बताया कि इस दिन पांच ग्रह सूर्य अपनी उच्च मेष राशि में, चंद्रमा अपनी उच्च वृषभ राशि में, मंगल अपनी उच्च राशि मेष में, वृहस्पति अपनी उच्च कर्क राशि में व शुक्र देव अपनी उच्च वृषभ राशि में गोचर करेंगे। पांच ग्रहों के अपने-अपने उच्च राशियों में गोचर करने के कारण विशिष्ट संयोग उत्पन्न हो रहा है। अक्षय तृतीया में सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में गोचर करते थे लेकिन इस बार एक साथ पांच ग्रहों का उच्च राशि में प्रवेश करना अद्भुत संयोग है। इसी वजह से यह दिन हजार गुना अधिक फलदायी व पुण्यदायी होगा। इस दिन जन्म लेने वाले बच्चों को पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलेगी।

पुराणों में अक्षय तृतीया का महत्व दान के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पीछे एक प्रचलित कथा है कि एक व्यापारी था, जो दान-पुण्य के साथ ही धार्मिक कार्य करता था। उसके कार्यों की वजह से दूसरे जन्म में उसने राजा के रूप में जन्म लिया और एक राजा के तौर पर भी धार्मिक कार्यों के साथ ही दान के कार्य करता रहा और मृत्यु के बाद उसके पुण्य की वजह से उसने विक्रमादित्य के रूप में जन्म लिया। इसीलिए इस दिन दान के महत्व को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

अक्षय का शाब्दिक अर्थ एेसी तिथि से है जिसका किसी प्रकार से क्षय न हो। इस दिन अपने आप ही श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है। एेसे में विशिष्ट संयोग से इस तिथि का महत्व बहुत बढ़ जाता है। इस दिन दोपहर 12.20 मिनट बजे से एक बजे तक विशेष मुहूर्त है इस दौरान खरीदारी, पूजन, मांगलिक कार्य, व्यापार प्रारम्भ करने जैसे कार्य करना श्रेष्ठ रहेगा।

शास्त्रगत मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु का वरदान अक्षय तृतीया को माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु परशुराम के रूप में धरती में अवतरित हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान परशुराम के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी ।
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