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राशिफल

किसी भी कार्य को शुरू करते समय ध्यान रखें ये बातें, हमेशा होंगे सफल

यदि किसी काम की शुरुआत में किसी अच्छे समय का चयन करके शुभ मुहूर्त देख लिया जाए तो काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है

Jan 30, 2016 / 03:48 pm

सुनील शर्मा

shubh muhurat worship

shubh muhurat worship

किसी अच्छे समय का चयन करके किया गया कार्य ही मुहूर्त कहलाता है। यदि किसी काम की शुरुआत में शुभ मुहूर्त देख लिया जाए तो काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। मुहूर्त पंचांग के पांच अंगों के बिना अधूरा-सा है। पंचांग मतलब पंच अंग जैसे तिथि, वार, योग, नक्षत्र, करण, इन्हीं से मिलकर शुभ योग का निर्माण होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। इनका एक साथ होना योग कहलाता है।

चंद्रमा मुहूर्त विचार

शुभ कार्य का प्रारंभ करने से पहले (चंद्रमा) का विचार करना चाहिए। जातक को अपनी राशि ज्ञात होनी चाहिए। याद रहे, गोचर का चंद्र्रमा जातक की जन्मराशि से चौथा, आठवा, बारहवां (4, 8, 12) नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य भी त्यागने योग्य है।

रवि पुष्य योग: रविवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग रवि पुष्य योग का निर्माण करता है जो कि अच्छा योग माना जाता है।
गुरु पुष्य योग: गुरुवार को पुष्य नक्षत्र गुरु पुष्य योग का निर्माण करता है जो व्यापारिक दृष्टिकोण से शुभ रहता है।

चौघडिय़ा मुहूर्त

ये सभी योग किसी विशेष संयोग के कारण बनते हैं। किसी कार्य का शुभारम्भ करना आवश्यक है लेकिन शुभ योग नहीं बन रहा है, उस स्थिति में चौघडिय़ा काम में लेते हैं, जो कि 1:30 घंटे का होता है और इस दौरान राहुकाल का त्याग करना चाहिए। लाभ, अमृत, शुभ, चंचल ये चौघडिय़ा शुभ माने जाते हैं।
 
अभिजीत मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त में प्रारंभ किया काम अधिक शुभ और सफल होता है। विद्वानों के अनुसार स्थानिक समय के अनुसार दोपहर के 11 बजकर 45 मिनट से 12 घंटे बजकर 15 मिनट के मध्य यह मुहूर्त होता है। इस मुहूर्त में किया गया कार्य त्वरित सफल होता है।

कुछ अशुभ योगों को टालकर चलें

नक्षत्र, तिथि, वार आदि के संयोग से भी कुछ अशुभ योगों का निर्माण होता है, ऐसे में यदि हम शुभ कार्य की शुरुआत ना ही करें तो ज्यादा उत्तम रहता है। तिथि, नक्षत्र और वार इन तीनों के संयोग से बना योग त्रितयज योग कहलाता है जो कि अशुभ योग है।

यदि पंचमी तिथि को हस्त नक्षत्र और रविवार है तो अशुभ है, सप्तमी तिथि को अश्विनी नक्षत्र व मंगलवार हो तो अशुभ है। षष्ठी को मृगशिरा व सोमवार अशुभ है। अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र व बुधवार तथा दशमी को रेवती नक्षत्र व शुक्रवार अशुभ है। नवमी को गुरुवार और पुष्य नक्षत्र व एकादशी तिथि को रोहिणी नक्षत्र शनिवार हो तो शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

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