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ग्रंथों और ज्योतिष में बताया है, इन पेड़ों को लगाने से खुलता है भाग्य

ज्योतिष शास्त्र में अशुभ ग्रहों की शांति, नवग्रहों को प्रसन्न करने, यहां
तक कि शोक दूर करने और प्रसन्नता पाने के लिए भी अलग-अलग तरह के पेड़
लगाने पर बल दिया है

Dec 22, 2015 / 03:58 pm

सुनील शर्मा

Tulsi tree

Tulsi tree

ज्योतिष शास्त्र में अशुभ ग्रहों की शांति, नवग्रहों को प्रसन्न करने, यहां तक कि शोक दूर करने और प्रसन्नता पाने के लिए भी अलग-अलग तरह के पेड़ लगाने पर बल दिया है।

पर्यावरण को हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाए रखने में वृक्षों का महत्वपूर्ण योगदान है। एक वृक्ष सौ पुत्रों से भी बढ़कर है क्योंकि वह जीवनभर अपने पालक को समान एवं नि:स्वार्थ भाव से लाभ पहुंचाता रहता है। भविष्य पुराण के अनुसार संतानहीन मनुष्य द्वारा लगाया गया वृक्ष लौकिक और पारलौकिक कर्म करता है।

लोमेश संहिता में कहा गया है कि जहां पर तुलसी का वृक्ष स्वयं उत्पन्न होता है तथा अश्वत्थ आदि के वृक्ष हों, वहां निश्चित ही देवता निवास करते हैं। आचार्य वराहमिहिर ने वृक्षों को वस्त्र से ढककर चंदन और पुष्पमाला अर्पित कर उनके नीचे हवन करने को श्रेष्ठ बताया है। पितरों की संतुष्टि के लिए भी वृक्ष लगाने की परंपरा है।

ज्योतिष में वृक्षारोपण

ज्योतिष शास्त्र में वृक्षों को देवताओं और ग्रहों के निमित्त लगाकर उनसे शुभ लाभ प्राप्त किए जाने का उल्लेख मिलता है। पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का तो आंवला और तुलसी में विष्णु का, बेल और बरगद में भगवान शिव का जबकि कमल में महालक्ष्मी का वास माना गया है। जामुन का वृक्ष धन दिलाता है तो पाकड़ ज्ञान और सुयोग्य पत्नी दिलाने में मदद करता है। बकुल को पापनाशक, तेंदु को कुलवृद्धि, अनार को विवाह कराने में सहायक और अशोक को शोक मिटाने वाला बताया गया है।

श्रद्धा भाव से लगाया गया वृक्ष कई मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो कदली वृक्ष की सूखी पत्तियों से बने आसान पर बैठकर कात्यायनी देवी की पूजा करनी चाहिए। शनि ग्रह के अशुभ फल को दूर करने के लिए शमी वृक्ष के पूजन से लाभ मिलता है। कदंब व आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर यज्ञ करने से लक्ष्मी जी की कृपा मिलती है।

हवन समिधा में वृक्ष

नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष में मंत्रजाप के साथ हवन किया जाता है। इसके लिए जिस समिधा का प्रयोग होता है वह वृक्ष से ही मिलती है। सूर्य के लिए मदार, चंद्र के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दूर्वा और केतु के लिए कुश वृक्ष की समिधा प्रयुक्त होती हैं।

ज्योतिष में नवग्रहों को प्रसन्न करने और उनके शुभ प्रभाव के लिए दान करना उपयुक्त उपाय है। इसके लिए वृक्ष और उनसे मिलने वाले उत्पादों का दान भी किया जाता है। अशुभ ग्रहों की शांति के लिए भी जड़ी-बूटी धारण करने की सलाह दी जाती है, जोकि वृक्षों से ही प्राप्त होती हैं।


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