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दुर्लभ योग: पूर्णिमा और मूल नक्षत्र में है सावन का अंतिम सोमवार

Published: Aug 24, 2015 06:35:00 pm

वैसे तो सावन में मूल नक्षत्र पड़ता ही है लेकिन सोमवार को इस नक्षत्र का पडऩा दुर्लभ योग बनाता है, इस दिन भगवान भोलेनाथ के पूजन से मूल के दोष दूर हो जाएंगे

Lord shiva

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सावन का अंतिम सोमवार मूल नक्षत्र में पड़ रहा है जो विशेष फलदायी है। इस सोमवार की विशेष महत्ता इस कारण भी है कि सोमवार को मूल प्रकृति का श्रेष्ठ नक्षत्र है सालों बाद सोमवार के दिन दुर्लभ योग में भगवान शिव पार्वती के पूजन से मूल दोष दूर होंगे। जिन जातकों को मूल का दोष है वे सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शिव का शहद से अभिषेक कर चंदन का लेपण कर कर विशेष पूजन से मूल दोष दूर कर सकते है। ज्योतिषी दत्तात्रय होस्केरे ने बताया कि वैसे तो सावन में मूल नक्षत्र पड़ता ही है लेकिन सोमवार को इस नक्षत्र का पडऩा दुर्लभ योग बनाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के पूजन से मूल के दोष दूर हो जाएंगे।

दुर्लभ योग में विशेष पूजन से होगा लाभ
ज्योतिषी होस्केरे ने बताया कि भोलेनाथ को शहद से अभिषेक कर चंदन का लेपण करना विशेष फलदायी होगा। उन्होंने बताया कि शि के इस विशेष पूजन से मूल का दोष दूर होका है। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्र नीच का है या चंद्र दोष के कारण विवाह में बाधा आ रही है उन्हें पूजन दोषों से छुटकारा मिलेगा।

शिवालयों में विशेष सजावट
रविवार से ही शिवालयों में विशेष सजावट की गई। सुहब से ही नरहरेश्वर मंदिर, बूढ़ेश्वर मंदिर, हटकेश्वर मंदिर के साथ ही सारे शिवालयों में भक्तों द्वारा भोलेनाथ को बेलपत्र और दुग्धाभिषेक कर मनोवांछित फल की कामना करेंगे। महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाश के दर्शन और पूजन के लिए आसपास ग्रामीण अंचल से कावडिओं के पहुंचने का सिलसिला एक हफ्ते पहले से ही शुरू हो गया था। मंदिर के कुछ दूरी पर लगाए तंबुओं में समाजसेवियों द्वारा उनकी ठहरने की व्यवस्था की गई है। मंदिर में सुबह से ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहेगा।

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