Vastu Tips: मुख्य द्वार पर कोई मांगलिक या शुभ चिन्ह बनवाया जा सकता है। घर के कुल दरवाजों की संख्या यदि सम संख्या में हो तो शुभ माना जाता है
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के निर्माण में जितना महत्व दिशाओं का है उतना ही उस घर के दरवाजों का भी है। जानिए घर के दरवाजों के लिए क्या कहते हैं
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फेंगशुई के नियम घर के दरवाजों के लिए वास्तु टिप्स मुख्य द्वार पर कोई मांगलिक या शुभ चिन्ह बनवाया जा सकता है। घर के कुल दरवाजों की संख्या यदि सम संख्या में हो तो शुभ माना जाता है। दो भवनों के मुख्य द्वार एक-दूसरे के ठीक सामने न हों। दरवाजे उत्तर व पूर्व दिशा में अधिक रखने चाहिए ताकि हवा प्रकाश व ऊर्जा का संचार पर्याप्त हो सके।
ये भी पढ़ेः घर का वास्तु सही है या गलत, ऐसे जानें, इन उपायों से हटाएं वास्तु दोष ये भी पढ़ेः पांच मिनिट के ये 3 उपाय तुरंत सुधारेंगे आपके घर का वास्तु वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए। पूर्व अथवा उत्तरमुखी भवनों में चारदीवारी की ऊंचाई पूर्व या उत्तर में मुख्य द्वार से कम होनी चाहिए। साथ ही हल्की भी होना चाहिए तथा पश्चिम या दक्षिणमुखी भवनों की चारदीवारी भवन के मुख्य द्वार से ऊंची, बराबर अथवा नीची रखी जा सकती है, साथ में वजनी होना चाहिए।
दरवाजे की आवाज अशुभ क्यों? दरवाजे घर का मुख्य भाग होते हैं क्योंकि नकारात्मक व सकारात्मक ऊर्जा यहीं से घर में प्रवेश करती व बाहर निकलती है। वास्तु शास्त्र में दरवाजों पर विशेष ध्यान दिया गया है। दरवाजे खोलते व बंद करते समय आवाज नहीं होनी चाहिए। इससे एकाग्रता भंग होती है। दरवाजा स्वत: खुलने व बंद होने वाला नहीं होना चाहिए।
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खिड़कियों के दरवाजे बाहर की ओर खुलने चाहिए, इससे ‘ची’ (ऊर्जा) का प्रवाह अधिक होता है और उस भवन में निवास करने वाले व्यक्तियों को धन के सम्बन्ध में कभी कठिनाई नहीं होती है। अपने बच्चों का पढ़ाई की तरफ रुझान चाहते हैं तो बच्चों के स्टडी टेबल के उत्तर-पूर्व में क्रिस्टल बॉल अथवा ग्लोब रखें। बच्चों का पढ़ाई में ध्यान ज्यादा लगेगा।
आपके घर का अगला व पिछला द्वार एक सीध में नहीं होना चाहिए क्योंकि सारी ‘ची’ (ऊर्जा) प्रवेश के साथ ही बाहर निकल जाएगी। अपने फर्नीचर की सेटिंग घुमावदार करें जिससे ची सारे घर में प्रवाहित हो जाए। दर्पण या क्रिस्टल बॉल द्वारों के बीच में लटकाकर भी आप ची को ठहरने के लिए बढ़ावा दे सकते हैं।