तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्काबाद में शनिवार को निरपेक्षता नीति के तहत शांति, सुरक्षा और सामूहिक विकास के मुद्दों पर मंथन हुआ। इसमें भारत, पाक, चीन, इरान, अफगानिस्तान व उज्बेकिस्तान समेत 20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
इसमें भारत के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, भारत-तुर्कमेनिस्तान में दो दशक से बेहतर रिश्ते रहे हैं। उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान के प्रसिद्ध कवि मैख्तुमकौली फराजी के शब्दों में कहूं तो ‘तुर्कमेनिस्तान में सारी राहें मेरे हिंदुस्तान को जाती हैं।‘
अंसारी ने जोर देकर कहा, तुर्कमेनिस्तान के लोग और सरकार भविष्य में भी निरपेक्षता की नीति पर चलते हुए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, अतिवाद और फंडामेंटलिज्म की चुनौतियों का साथ काम करेंगे। अंसारी ने आश्वस्त किया कि विश्व शांति और विकास के लिए भारत हमेशा सच्चा सहयोगी बना रहेगा। इससे पहले पाक पीएम नवाज शरीफ बोले, हम शांति के पक्षधर हैं।
सभी पड़ोसी मुल्कों से बातचीत के आधार पर इसे स्थापित करने को प्रतिबद्ध है। उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, जॉर्जिया, क्रोशिया, कजाकिस्तान, अर्मेनिया व स्लोवेनिया के प्रतिनिधियों ने जोर दिया, नागरिकों की सुरक्षा व विश्वशांति के लिए निरपेक्षता की नीति जरूरी है।
तापी प्रोजेक्ट की नींव आज
प्राकृतिक गैस की आपूर्ति से जुड़ी महत्वाकांक्षी तापी गैस परियोजना रविवार को भूमिपूजन के साथ शुरू होगी। यहां से 375 किमी दूर मैरी शहर के करीब सुबह 10.15 बजे औपचारिक उद्घाटन होगा। करीब 1800 किमी लंबी पाइपलाइऩ तुर्कमेनिस्तान के दौलताबाद गैस क्षेत्र से अफगानिस्तान के हेरात और कंधार के रास्ते पाकिस्तान के क्वेटा व मुल्तान होते हुए पंजाब के फजिल्का तक आना प्रस्तावित है।
उद्घाटन मौके पर चारों देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। भारत की ओर से अंसारी के साथ पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान और विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) नवतेज सरना भी होंगे। तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमोहम्मदोव, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी व पाक पीएम नवाज भी मौजूद रहेंगे।
इसका लाभ: 2020 तक तापी परियोजना के पूरा होने के बाद चारों देशों को काफी फायदा होगा। इससे ऊर्जा के धनी तुर्कमेनिस्तान से भारत-पाक को प्राकृतिक गैस मिल सकेगी। तापी परियोजना से भारत भविष्य में गैस आपूर्ति के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर नहीं रहेगा। अपनी ऊर्जा जरूरतें कुछ हद तक पूरी कर सकेगा।
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