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एक ऐसा गांव जहां शराबियों को लाठी लेकर दौड़ाती हैं महिलाएं

locationहोशंगाबादPublished: Dec 01, 2016 01:25:00 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

एक दर्जन महिलाएं हाथों में लाठी लिए संगठन की मुखिया कृष्णाबाई के घर के बाहर एकत्र होती हैं। कृष्णाबाई इन महिलाओं को इशारा करती है और फिर लाठियां लहराते महिलाओं का यह समूह गांव के चौक की ओर चल देता है। चौक पर एक किराना दुकान के बाजू में तीन युवक शराब पीते नजर आते हैं। इनके समीप पहुंचते ही नर्मदा क्रांति संगठन की महिलाएं शराब पी रहे युवकों की ओर लाठी लेकर दौड़ती हैं। इन्हें देख शराब पी रहे युवा भाग खड़े होते हैं।

women seek to alcoholics with sticks

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होशंगाबाद. डोंगरवाड़ा गांव में शराब ने कलह और अशांति का माहौल बना रखा था। रात तो रात दिन में भी यहां के मजदूर पुरुष, युवा शराब के नशे में डूबे रहते थे। बच्चों में भी यह बुरी लत फैल गई थी। घर टूट रहे थे। बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। महिलाएं एवं बच्चियों का घर से निकलना दूभर हो गया था। ऐसे में गांव की बुजुर्ग महिला कृष्णाबाई ने गांव की महिलाओं को एकजुट कर नर्मदा क्रांति संगठन बनाया और गांव में शराबबंदी के प्रयास शुरू किए। महिलाओं ने हाथों में लाठियां लेकर गश्त और निगरानी शुरू की। जहां भी कोई शराब पीते मिलता, उसे खदेड़ दिया जाता। कुछ ने समझाने और डर से शराब छोड़ दी। कई बार महिलाओं ने पुलिस को गांव बुलाकर शराब जब्त करवाई। गांव में जो लोग अवैध रूप से शराब बेचते थे, उन्हें ऐसा करने से रोका। गांव के मुख्य चौक के दुर्गा मंदिर चौक पर संत-महात्माओं की मदद से भजन एवं प्रवचन कराए। इन प्रयासों का नतीजा है कि आज यह गांव पूर्णत: शराबबंदी की ओर अग्रसर है। शराब छोड़ चुके लोग अब रेत मजदूरी की कमाई लाकर घर में महिलाओं को दे रहे हैं। इससे घरों में खुशी का माहौल है। बच्चे भी स्कूल जाकर पढ़ाई में मन लगा रहे हैं। कृष्णाबाई का साथ सुमंत्राबाई केवट, कृष्णाबाई, जमुनाबाई उइके, पूनाबाई धुर्वे सहित करीब तीन दर्जन से अधिक महिलाएं एवं छात्राएं दे रही हैं। शराबबंदी के लिए महिलाओं का यह समूह गांव में गश्त भी करता है। सरपंच सरोज बाई साहू और कुछ बुजुर्ग भी इन महिलाओं का साथ देने लगे हैं।


बाबा प्रसाद दास भी जगा रहे शराबबंदी की अलख
कुछ समय पूर्व उड़ीसा से आए बाबा बलिआजी महाराज के शिष्य बाबा प्रसाद दास भी डोंगरवाड़ा गांव में शराबबंदी के लिए आध्यात्मिक तरीके से अलख जगा रहे हैं। नर्मदा तट पर आश्रम बनाकर रह रहे बाबा प्रसाद दास आश्रम एवं गांव के दुर्गा मंदिर चौक पर भजन-प्रवचन से लोगों के आचार-विचार में परिवर्तन ला रहे हैं। घर-घर जाकर शराब के दुष्प्रभाव बता रहे हैं। बाबा प्रसाद दास को विश्वास है कि कुछ माह में ही गांव पूरी तरह शराबमुक्त हो जाएगा।

गांव के 60 फीसदी लोग कर चुके शराब से तौबा
ऐसे दृश्य डोंगरवाड़ा में आए-दिन देखने को मिलते हैं। नर्मदा क्रांति संगठन की मुखिया कृष्णाबाई बताती हैं कि कुछ लोग समझाने से ही मान जाते हैं और जो नहीं मानते, उन्हें समझाने का यही तरीका है हमारा। कृष्णाबाई ने बताया कि हमारे इस संगठन के प्रयास से गांव के 60 फीसदी लोग शराब से तौबा कर चुके हैं। बाकी लोग भी धीरे-धीरे शराब छोड़ रहे हैं। गांव के बुजुर्ग और सरपंच भी शराबबंदी के लिए लोगों को लगातार समझाइश देते रहते हैं।

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