देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के खिलाफ अपने पुरस्कार वापस करने वाले लेखकों ने कहा है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा
नई दिल्ली। देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता‘ के खिलाफ अपने पुरस्कार वापस करने वाले लेखकों ने कहा है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा। भारतीय भाषा पर्व ‘समन्वय’ से इतर कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि यह एक लंबा संघर्ष है। हम कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। हम राज्य स्तरीय बैठकें भी करेंगे। वाजपेयी ने बीते महीने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया था।
साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाली माया कृष्ण राव ने कहा कि पुरस्कार वापसी के आंदोलन ने सरकार में ‘घबराहट’ पैदा की है। उन्होंने कहा कि मैं सरकार में बहुत घबराहट देख रही हूं, क्योंकि प्रतिक्रियाएं कई हिस्सों से आ रही हैं। इनमें से कुछ में तो काफी बेचैनी नजर आ रही है। हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने वाले लेखकों के दल में शामिल अशोक वाजपेयी ने कहा कि वह राष्ट्रपति की सकारात्मक प्रतिक्रिया से संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने हमसे कहा कि लेखकों-बुद्धिजीवियों का पुरस्कार लौटाना स्वत:स्फूर्त था और विरोध का एक तरीका था, जिसने असहिष्णुता के मुद्दे पर देशभर में बहस छेड़ दी है। वाजपेयी ने अभिनेता आमिर खान के खिलाफ हाल में हुए उग्र विरोध को गलत बताया। उन्होंने कहा कि आमिर के बयान को बेहद चालाकी से तोड़ मरोड़ दिया गया।
दूसरों को देश छोडऩे के लिए कहने वाले लोगों की सबसे खतरनाक बात यह है कि वे कह रहे हैं कि आप देश नहीं हैं, देश हम हैं। वाजपेयी ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी की रक्षा करे। कोई एक धर्म देश पर दावा नहीं जता सकता। उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि लेखक बिहार चुनाव के बाद शांत हो गए हैं। वाजपेयी ने कहा कि हम बिहार चुनाव के बाद शांत नहीं हुए हैं। चुनाव के बाद ओडिशा के कवि जयंत महापात्रा और कन्नड़ लेखक देवानारु महादेवा ने अपना पद्मश्री लौटाया है। वैसे पुरस्कार वापसी एक संयोग है, लेकिन बिहार में हार केंद्र में सत्तारूढ़ दल के लिए एक अच्छा सबक है।
वहीं, माया कृष्ण राव ने कहा कि यह बेदम आरोप है कि यह पूरा विरोध ‘गढ़ा हुआ विद्रोह’ है। उन्होंने कहा कि व्यवसाय जगत के लोग, वैज्ञानिक भी विरोध कर रहे हैं। उद्यमी किरण मजूमदार शॉ और रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने भी मुद्दा उठाया है। इन जैसे लोगों को राजनीति से प्रेरित नहीं कहा जा सकता।