बीकानेर। पहले अठाई यानी आठ दिन की तपस्या और फिर 25 जुलाई को संथारा शुरू करने वाली 82 वर्षीय बदनी देवी ने शनिवार को देह त्याग कर दिया। इससे पहले आठ दिन की तपस्या के बाद बदनी देवी के संथारे को लेकर जैन समाज के प्रबुद्धजनों और उनके परिजनों ने विराटनगर में प्रवास कर रहे आचार्य महाश्रमण से अनुमति मांगी। आचार्य महाश्रमण की स्वीकृति मिलने के बाद बदनी देवी को संथारे का प्रत्याख्यान करवाया गया।
हर दिन नए-नए संकल्पबदनी देवी के पुत्रों ने बताया कि संथारा दौरान उनके घर पहुंचने वाले दर्शनार्थियों ने तरह-तरह के संकल्प लिए। किसी ने जाप का तो किसी ने उपवास का संकल्प लिया। इनके अलावा नशावृत्ति को छोड़ने का संकल्प तो बड़ी संख्या में लिया । सुरेन्द्र डागा ने बताया कि संथारा के दौरान करीब दो हजार लोगों ने संकल्प लिया। उनका कहना था कि तीस साल बाद एक बार फिर परिवार में धर्म की अविरल धारा बही। संथारा के दौरान सूर्योदय के बाद संतों का दल उनके घर पहुंच जाता था, इसके साथ ही शुरू होता था कीर्तन का सिलसिला।
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें जैन धर्मावलंबियों के धार्मिक रिवाज संथारा (मृत्यु तक उपवास) को अवैध करार दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार और केन्द्र को नोटिस जारी किया था। इस आदेश के तहत हाईकोर्ट के फैसले पर चार साल तक रोक रह सकती है, जब तक कि सुनवाई के लिए मामला नहीं आता है।
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