भोपाल। राजधानी एवं प्रदेश की ऐतिहासिक बिल्डिंग ‘समन्वय भवन’ में पहली बार सियासी जलसा होने जा रहा है। जो मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 एवं अपेक्स बैंक ‘ऑडिटोरियम आवंटन नियम’ का सीधा उल्लंघन होगा।
कानून कहता है कि ‘समन्वय भवन’ को किसी भी राजनैतिक, धार्मिक एवं व्यावसायिक गतिविधि के लिए उपयोग में नहीं लिया जा सकता है। सोमवार को यहां भारतीय जनता पार्टी के मप्र-छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय ‘महासम्पर्क अभियान’ की बैठक होने वाली है। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल सहित दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेता शिरकत करेंगे।
मालूम हो कि ‘समन्वय भवन’ के निर्माण (2 अक्टूबर 2003 शिलान्यास) में करीब 12 साल एवं बैंक के करीब 40 साल के इतिहास में बैंक परिसर में किसी प्रकार को राजनैतिक दल का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है। सोमवार को पहली बार भाजपा के महासंपर्क महाअभियान की बैठक हो रही है। भवन के इंचार्ज से लेकर अपैक्स बैंक प्रबंधन के एमडी प्रदीप नीखरा तक यह नहीं कह रहे कि राजनैतिक दल को ‘समन्वय भवन’ दिया जा सकता है।
एमडी ने इतना जरूर कहा कि सुरक्षा नियमों को देखते हुए कलेक्टर के कहने से भवन का आवंटन किया गया है। ऐसा करने से नियमों का उल्लंघन हो रहा है या बैंकिंग सेवा नियम की अवहेलना हो रही है? का सीधा जवाब देने की बजाय पूरी जिम्मेदारी कलेक्टर पर डाल दी।
सहकारी सोसायटी अधिनियम के आधार पर ही अपेक्स बैंक ‘ऑडिटोरियम आवंटन नियम 2014’ में भी धारा 43(5) के अनुसार प्रावधान है कि किसी भी राजनैतिक दल या धार्मिक संगठन या व्यावसायिक गतिविधि के लिए ऑडिटोरियम का उपयोग करने की अधिकारिता नहीं होगी।
यह है कानून
मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 43(5) में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी सोसायटी किसी ऐसे संगठन में जिसका उद्देश्य किसी राजनैतिक दल या किसी धार्मिक आस्था का अग्रसर करना है, न तो प्रत्यक्षत: और न अप्रत्यक्षत: धन के या वस्तु के रूप में अभिदाय करेगी।
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