जोशी पेशे से कपड़ा व्यापारी हैं और 2005 में वे पहली बार डेहरी सीट से विधायक चुने गए। उन्होंने उस समय राजद के मंत्री इलियास हुसैन को 43 हजार वोटों से हरा कर सबको चौंका दिया था। इसके बाद 2010 में वे चुनाव नहीं लड़ पाए क्योंकि किसी केस में दोषी करार दिए गए थे। उन्होंने अपनी पत्नी ज्योति रश्मि को खड़ा किया और वह जीत गई। वे एक बार फिर अपनी जीत का दावा करते हुए कहते हैं पिछले 10 साल में कोई मुकाबला ही नहीं हुआ है।
जोशी अपने भाषणों के लिए मशहूर हैं, यहां तक कि भाजपा नेता भी उन पर साम्प्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। अपने हरेक प्रचार की शुरूआत में वे और उनकी पत्नी पहले ही मुसलमानों के बारे में पूछ लेते हैं। वे कहते हैं, भीड़ में अगर कोई मुस्लिम है तो कृपा करके वह चला जाए क्योंकि हमें मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। जोशी अपनी राजनीतिक पार्टी चलाते हैं जिसका नाम शुरू में हिंदू सेवादल था जो बाद में राष्ट्रीय सेवा दल हो गया।
वे पीएम मोदी को चुनौती देते हुए कहते हैं कि अच्छा है कि मोदीजी इस जंग के मैदान में आ रहे हैं। महाभारत के लिए मैदान तैयार है। मेरे बारे में लोग उन्हें बता देंगे। भाजपा नेता भी उनकी राजनीति को अतिवादी करार देते हैं। भाजप महासचिव अजयकुमार सिंह के अनुसार उन्हें वोट मिलते हैं क्योंकि वे लोगों को इमोशनली ब्लैकमैल करते हैं। अब ऎसे नारे काम नहीं करेंगे। इस विधानसभा का यह दुर्भाग्य है कि जोशी को साम्प्रदायिक बातें करने के लिए वोट मिलते हैं। 2005 में साम्प्रदायिक घटना का फायदा उठाते हुए वे जीत गए, हम विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
डेहरी सीट समझौते के तहत भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को मिली है। यहां से एनडीए के उम्मीदवार रिंकू सोनी, प्रदीप जोशी और राजद के इलियास हुसैन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। तीनों का यहां अपना-अपना वोट बैंक है। रोचक बात है कि पीएम मोदी शुक्रवार को इस विधानसभा सीट के लिए वोट मांगेंगे।
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