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बिहार की हार से BJP में खलबली, कमजोर हुए मोदी-शाह

Published: Nov 09, 2015 07:55:00 am

शीतकालीन सत्र चलाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा, मोदी-शाह से नाराज नेताओं का गुट नए अध्यक्ष की मुहिम चला सकता है

amit shah and narendra modi

amit shah and narendra modi

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीति पर दूरगामी असर डालेंगे। बिहार में हार से केंद्र सरकार और भाजपा संगठन में खलबली है। पार्टी बिहार में इस तरह के नतीजे को लेकर कतई तैयार नहीं थी। इस हार से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ही नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को भी खासा नुकसान पहुंचा है। सवाल यह है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी से मात खाने के बाद भाजपा को अब बिहार में नीतीश कुमार ने शिकस्त दी। पार्टी वापसी के लिए क्या करेगी? सरकार के लिए विपक्ष का सामना इतना आसान नहीं होगा, जितना अब तक था।

यू बढ़ेंगी केंद्र की मुश्किलें
शीतकालीन सत्र चलाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
कई अहम विधेयकों को सरकार को पास करना मुश्किल होगा। 
सत्र में विपक्ष आत्म विश्वास के साथ एकजुट होकर केंद्र को घेरेगा।
दुनिया में मोदी विकास मॉडल को संशय की दृष्टि से देखा जाएगा। 
विदेशी निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है।
मोदी को जनता से किए वादों को हकीकत में बदलना होगा। 
पीएम को विकास के दावों पर पुनर्विचार करना होगा। 
केंद्र में फेरबदल जल्द हो सकता है। नाकारा मंत्री बाहर हो सकते हैं।
सरकार में सहयोगी दलों को पूरा सम्मान देना 

संगठन पर भी पड़ेगा असर
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर उंगली उठना तय। 
संगठन में बड़े बदलाव किए जा सकते है। 
संगठन में संघ के हस्तक्षेप को रोकना शाह के लिए बिहार परिणामों के बाद आसान नहीं होगा। 
मोदी-शाह से नाराज नेताओं का गुट नए अध्यक्ष की मुहिम चला सकता है।
संगठन में आंतरिक लोकतंत्र की बहाली की संभावना बढ़ेगी। 
राज्यों में बड़े फेरबदल करने की मोदी और शाह की योजना कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में जा सकती है।

यूं बदलेगी सियासी हवा 
मोदी को अश्वमेघ का घोड़ा मानकर चल रही भाजपा की बिहार हार के बाद विपक्ष को संजीवनी मिलना तय।
पूरे देश में भाजपा विरोधी मोर्चा बनने की शुरूआत हो सकती है। 
घोर विरोधी लालू और नीतीश के एक साथ आकर मोदी को पटकनी देने के सफल प्रयोग के बाद पूरे देश में यह प्रयोग लागू हो सकता है। पं बंगाल के चुनाव में वामपंथी और ममता बनर्जी भी हाथ मिला सकते हैं।
नीतीश के नेतृत्व में मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो सकते है। 
2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के सामने नीतीश प्रधानमंत्री के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते है।

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